राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से संजय बाफना को मिला गलत प्रमाणन, अब नामांतरण भी हुआ निरस्त

शदुर्ग। दुर्ग शहर में अवैध प्लॉटिंग के गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है। हाल ही में बाफना अर्थ मूवर्स के डायरेक्टर संजय बाफना द्वारा सिकोला क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग करने का मामला उजागर हुआ। बिना किसी वैधानिक अनुमति के कॉलोनी काटी जा रही थी, और इसमें नगर निगम, टाउन एंड प्लानिंग और राजस्व विभाग की मिलीभगत साफ तौर पर देखी गई। मामले के सामने आने के बाद दुर्ग कलेक्टर ने दुर्ग तहसीलदार को हटाने का आदेश दिया और प्रफुल्ल कुमार गुप्ता को नया तहसीलदार नियुक्त किया। साथ ही, प्रशासन ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए संजय बाफना का नामांतरण निरस्त कर दिया।

कैसे हुआ मामला उजागर?

संजय बाफना द्वारा बिना छत्तीसगढ़ रेरा, नगर तथा ग्राम निवेश दुर्ग और नगर निगम से अनुमति लिए सिकोला क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग की जा रही थी। नेशनल हाईवे से रोड की भी कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इसके बावजूद, प्रशासन इस पर चुप्पी साधे बैठा रहा। नगर निगम के अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी थी कि जिस खसरा नंबर में अवैध प्लॉटिंग हो रही है, उसमें गंभीर त्रुटियां हैं, लेकिन फिर भी इस पर कोई रोक नहीं लगाई गई। भविष्य में यह प्लॉटिंग वहां रहने वाले लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती थी। जब नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल को इस अवैध प्लॉटिंग की जानकारी मिली, तो उन्होंने 22 नवंबर 2024 को संजय बाफना को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। लेकिन इससे पहले ही, 21 नवंबर 2024 को दुर्ग तहसीलदार के पास इस अवैध प्लॉटिंग को वैध करने के लिए आवेदन दिया गया। 26 नवंबर 2024 को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए हुए प्रमाणीकरण कर दिया गया। जबकि, दावा-आपत्ति की समय सीमा और सुनवाई की तिथि 16 दिसंबर 2024 तय थी। इसके बावजूद, जल्दबाजी में प्रमाणीकरण किया गया, जिससे तहसीलदार और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई। मामले के तूल पकड़ने के बाद, दुर्ग कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए तहसीलदार को हटाया और संजय बाफना के नामांतरण को भी निरस्त कर दिया।

अवैध प्लॉटिंग से हो रहे बड़े नुकसान

शहर का बेतरतीब विकास: बिना सरकारी स्वीकृति के बनाई गई कॉलोनियों में बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं होती हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सरकारी खजाने को नुकसान: अवैध प्लॉटिंग से राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है।

आवासीय सुरक्षा को खतरा: बिना मानकों के बनाए गए प्लॉट और कॉलोनियां भविष्य में कानूनी विवादों और बुनियादी ढांचे की समस्याओं का कारण बन सकती हैं।

प्रशासन की ढील, अवैध प्लॉटिंग पर कार्रवाई क्यों नहीं?

दुर्ग जिले में अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ कई बार शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन नगर निगम, टाउन एंड प्लानिंग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जब भी इस तरह के मामले सामने आते हैं, तो ये विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं। जिसका उदाहरण कोरिया जिला भी है। तहसीलदार और पटवारी की संदिग्ध भूमिका इस मामले में स्पष्ट हो चुकी है। कलेक्टर के निर्देश के बावजूद, इन अधिकारियों ने अवैध प्लॉटिंग की जानकारी छुपाई और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए। आशंका जताई जा रही है कि इस अवैध प्रमाणीकरण में लाखों रुपए का लेन-देन हुआ है।

क्या होगा आगे?

अब जब यह मामला उजागर हो चुका है और नामांतरण भी निरस्त कर दिया गया है, तो यह देखना होगा कि प्रशासन आगे क्या कदम उठाएगा? क्या अन्य दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा? अब देखना यह होगा कि क्या सरकार और प्रशासन इस अवैध प्लॉटिंग के खेल को पूरी तरह रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाते हैं, या फिर यह गोरखधंधा यूं ही चलता रहेगा?