दसलक्षण धर्म का नवां दिन- उत्तम आकिंचन

दसलक्षण धर्म का नवां दिन- उत्तम आकिंचन

* परिग्रह चौबीसभेद त्याग करें मुनिराज जी- आर्यिका धारणा मति माताजी

ललितपुर।
वर्णी नगर मड़ावरा में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्या दृढमती माताजी की ससंग धारनामति माताजी, मुदितमती, शास्त्रमति माताजी का मंगल चातुर्मास बड़े ही धूमधाम से चल रहा है,
उत्तम आकिंचन धर्म पर प्रकाश डालते हुए धारणामतीजी ने कहां की किंचित मात्र भी मेरा नहीं है अंदर एवं बाहर से जब तक किसी वस्तु का पूर्ण रूप से त्याग नहीं किया जा सकता तब तक आकिंचन धर्म नहीं है आचार्य श्री जैसे आकिंचन को धारण करते हैं जो व्यक्ति अंदर बाहर से निर्मोही है वही आकिंचन व्रत का धारी है जो साधु प्रवृत्ति के होते हैं वह ही सोचते हैं ना तेरा ना मेरा जिंदगी रैन बसेरा ऐसी इच्छा रखने वाले ही आकिंचन को प्राप्त कर सकते हैं, बाल ब्रह्मचारी भैया राजेश जी टडा के निर्देशन में आकिंचन धर्म का विधान कराया गया शांति धारा का सौभाग्य चातुर्मास समिति के उपाध्यक्ष श्रीमान पंचम लाल जी रिंकेश जैन रूपेश जैन दाल मिल सत्येंद्र, तेजाबाई, सन्नी बम्होरी, विनोद कुमार राकेश, अशोक, अनुभव, कपासिया परिवार ने प्राप्त किया माताजी के निर्देशन में सुसज्जित मंच से तत्वार्थ सूत्र का वचन कर्नाटक से पधारे हुए श्रावक वर्णन ने आचार्य श्री की पूजन करके किया, तत्वार्थ सूत्र का वाचन त्रिलोक जी आजाद, हर्षवर्धन सेठी, डा. अभिषेक, रितेश जैन, प्रदीप खुटगुवा, अभिषेक जैन, राकेश बरायठा, पवन सौरई, अनुज खन्ना, अनिल प्रधान जी, भरत जैन, वीरेंद्र जैन नीचेपुरा ने किया।

रात्रि में आचार्य श्री विद्यासागर संस्कार वर्णी पाठशाला के नन्हे मुन्ने बच्चों के द्वारा केरल स्टोरी पर आधारित नाटिका का मंचन किया गया, जिसमें पाठशाला की शिक्षिका, ममता, सूरज, रूबी, रिंकी, रिया, श्रद्धा, नैनी आदि का सहयोग रहा। इनका सम्मान संतोष बजाज पिंकी बजाज आदेश बजाज बजाज परिवार ने किया।<!--/data/user/0/com.samsung.android.app.notes/files/clipdata/clipdata_bodytext_230928_080326_779.sdocx-->