मस्जिद अल्लाह के इबादत की पाक जमीन, वहां राजनीतिक गतिविधियां उचित नहीं : क़मर सिद्दीकी

बरेली। भारतीय पसमान्दा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो क़मर सिद्दीकी ने कहा है कि मस्जिद अल्लाह के इबादत की पाक जमीन, वहां राजनीतिक गतिविधियां उचित नहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव संसद के सामने बनी मस्जिद में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते हुए फोटोज में दिखे। कहा जा रहा है कि उन्हें वहां के मौलाना ने बुलाया था। पार्टी के सभी सपा नेता इस मस्जिद में बुलाए गए थे, जिसमें सपा सांसद नदवी और बर्क भी मौजूद थे।
पहली बात, मस्जिद अल्लाह के इबादत की पाक जमीन है, वहां राजनीतिक गतिविधियां किसी भी तरह से उचित नहीं हैं। दूसरी बात अखिलेश यादव आगामी विधानसभा में फिर से मुस्लिमों को ठगने के लिए नया किरदार तैयार कर रहे हैं। इनके केवल नमाज में बैठ जाने और टोपी पहन लेने से ही यदि मुसलमान समाज के गरीब, शोषित व वंचित पसमांदा समाज का भला हो जाता तो क्या बात होती।
इनके लिए मुसलमान केवल थोक का वोट बैंक है। जिसे डराकर पुचकार कर चुनावों में इस्तेमाल कर लिया जाता है। केवल एक मुस्लिम नुमा माहौल बना देने भर से पसमांदा मुसलमानों के जीवन की आम समस्याएं दूर हो जाएंगी क्या। मेरे मुस्लिम पसमांदा भाइयों यह सवाल आपके लिये है।
अखिलेश यादव ने आज तक कथित मुस्लिम ठेकेदारों को छोड़कर किस गरीब शोषित के लिए कार्य किया है? पसमांदा समाज आज भी बेहद पिछड़ा हुआ है, उनके पास न दैनिक जीवन को बेहतर बनाने के साधन है न ही शिक्षा। पसमांदा समाज के लोगों के घरों में चूल्हे तब जलते हैं जब उनके पढ़ने लिखने की उम्र के बच्चे दुकानों पर मेहनत मजदूरी करते हैं। जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए वह पंचर बनाने से लेकर घर बनाने तक के कामों में झोंक दिए गए हैं, इसका जिम्मेदार कौन है। इसके जिम्मेदार अखिलेश यादव जैसे वो लोग हैं जो मुसलमानों को केवल वोटबैंक मान कर राजनीति कर रहे हैं। अखिलेश यादव का मस्जिद में जाकर बैठक करने का यह पैंतरा भी वैसा ही राजनीतिक चारा है जिसमें मुसलमान बार बार फंसकर अपने भविष्य को बेहतर होने के ख्वाब देखता रहता है जो कभी पूरा नहीं होता। लेकिन अब पसमांदा समाज जाग रहा है वह पिछलग्गू नहीं बनना चाहता है। वह अपने हित की आवाज उठा रहा है, वह सामाजिक व राजनीतिक तौर पर सक्रिय हो रहा है। आगामी उत्तर प्रदेश 2027 विधानसभा चुनाव में वह ऐसे धोखेबाजों को सबक सिखाएगा।
वैसे अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी हो या आजम खान का मसला अखिलेश यादव हमेशा चुप ही रहे हैं। जो व्यक्ति अपने साथियों का न हुआ वह किसी भी समाज का क्या होगा। उनकी राजनीति केवल परिवार और दो चार 'हां हुजूरी' करने वाले लोगों तक ही सीमित है।मुसलमान पसमांदा भाइयों आंख बंद करके समर्थन करते रहोगे तो यही हश्र होगा। बार बार होगा।
अभी भी मौका है ऐसी ताकतों के खिलाफ खड़े हो जो आपका वोट लेकर आपके साथ गद्दारी कर रहे हैं। भाजपा कम से कम कहती तो है कि वह मुसलमानों के वोट के भरोसे नहीं है हालांकि राजनीतिक मजबूरी में भी वह भी सबका साथ की बात कहते ही हैं।
वहीं मस्जिद में राजनीतिक बैठक करवाने वाले सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह भूल गये हैं कि यह अल्लाह का घर है।मस्जिद इबादत गाह है किसी राजनीतिक दल का बैठक खाना नहीं।