चकिया:उगीं-उगीं हे दीनानाथ भईल अब अरघ के बेर..... उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का किया पारण, घाटों पर रही श्रद्धालुओं के भीड़, छठ के गीतों से गुलजार रहा इलाका

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया: चार दिवसीय डाला छठ के अंतिम दिन शुक्रवार को व्रतियों ने सरोवर, तालाब और नदी तटों पर पहुंचकर उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया। भोर में व्रती सरोवर तटों पर पहुंची। यहां पूजन अर्चन के बाद कमर भर पानी में खड़े होकर सूर्य के को उदिय होने का इंतजार किया। जैसे ही सूर्य की लालिमा आसमान में दिखी दूध और जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया। घाटों पर व्रतियों को अर्घ्य दिलाने के लिए लोगों में होड़ मची रही। व्रत के समापन के बाद घाटों पर प्रसाद लेने के लिए भी होड़ मची रही।

डाला छठ के अंतिम दिन आर्ग की तैयारी आधी रात के बाद से ही शुरू हो गई थी। कई घरों में तो पूरी रात तैयारी हुई।भोर में 3:00 बजे व्रती महिला और पुरुषों ने स्नान ध्यान कर नए कपड़े पहने और सूप दउरी में फल पकवान आदि सजाए। इसके बाद पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर निकल पड़े। सुबह ठंड पड़ रही थी लेकिन आस्था वालों पर इसका अधिक असर नहीं दिखा पुरुष सदस्यों ने माथे पर फलों की दउरी रखी तो युवाओं व किशोरों ने कंधे पर मंडप सजाने के लिए गन्ना रखा। महिलाएं हाथों में कलश लेकर उसे पर दीपक जलाकर गीत गाते चल रही थीं। आधी नींद से जागे छोटे बच्चे कुछ अलसाए तो कुछ उत्साह से चल रहे थे। नंगे पैर लोग घाटों पर पहुंचे। कुछ नहीं लेट कर तो कुछ बैंड बाजा के साथ घाटों पर पहुंचे। सरोवर नदी तटों पर पहुंच कर कलश स्थापित किया और पूजन अर्चन किया इसके बाद वृद्धि कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के उदय होने का इंतजार किया। सुबह 6:00 के बाद जैसे ही आसमान से सूर्य की लालिमा दिखी जयकारे लगाएं और दूध और जल से अर्घ्य दिया।इस दौरान परिसर में दोनों समितियां द्वारा अर्घ्य के लिए दूध का इंतजाम किया गया था।