निर्माण विभाग के इंजीनियरों को महापौर ने बताया नाकारा लगाई लताड़

बरेली के मेयर उमेश गौतम शुक्रवार को 15 वें वित्त के कार्यों की समीक्षा बैठक में गुस्से में नज़र आये। निर्माण विभाग के इंजीनियरों की जमकर क्लास लगाते हुए उन पर खूब बरसे। आदेशों की अनदेखी से नगर निगम से लेकर शासन तक की बदनामी होने की बात कहते हुए उन्होंने इंजीनियरों को नाकारा तक कह दिया।क्या था गुस्से का कारण कहा, बजट पर्याप्त होने के बावजूद भी तमाम काम अधूरे पड़े हैं। शहर में लंबे समय से विकास कार्यों के अधूरे पड़े रहने की वजह से नगर निगम का काफी अपमान हो रही है। वर्ष 2023 में 15वें वित्त आयोग की 60 करोड़ की धनराशि से शहर में सड़क, नाली-नाले समेत कई विकास कार्यों को स्वीकृति मिलने के साथ बजट भी जारी हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी काम अधूरे पड़े हैं। आगे उन्होंने कहा कि, इंजीनियर मुख्यमंत्री के आदेशों तक का पालन नहीं कर रहे हैं तो उनकी क्या सुनेंगे। ऐसा ही रहा तो वह शासन को लिख देंगे कि ऐसे इंजीनियरों की यहां जरूरत नहीं है।कार्यालय में 24 घंटे से अधिक फाइल न रुकने का आदेश है नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स के साथ 15 वें वित्त आयोग की समीक्षा बैठक शुक्रवार को दोपहर बाद मेयर ने की। इसी मीक्षा बैठक में महापौर ने निर्माण विभाग के इंजीनियरों की जम कर क्लास ली। मुख्यमंत्री के पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यालय में 24 घंटे से अधिक फाइल न रुकने का आदेश है, तो इसका पालन क्यों नहीं हो रहा है। जब सीएम के आदेश की अनदेखी हो रही है तो उनके आदेश का पालन कितना होगा।आदेशों का पालन न होने पर शासन को लिखकर भेज देंगे महापौर ने आगे निर्देश देते हुए कहा कि पत्र में साफ़ साफ़ आदेश लिखा है कि 15वें वित्त के कामों को 2025 तक पूरा कर लिया जाएं। फिर भी निर्माण विभाग के इंजीनियरों द्वारा जिस गति से काम चल रहा उससे नहीं लगता है कि कार्य पूर्ण हो पायेगा। मेयर ने एक्सईएन डीके शुक्ला पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि आदेशों का पालन नहीं हुआ तो वह शासन को लिखकर भेज देंगे निर्माण विभाग के इंजीनियर कोई आदेश मानने को तैयार नहीं है और उन्हें विकास कार्यों से भी कोई मतलब नहीं है। इसके बाद जो होगा, उसे वह खुद जानेंगे। एक्सईएन काम नहीं करना चाहते तो पर्यावरण अभियंता को दो जोन का अतिरिक्त प्रभार दे दो मेयर ने कहा कि निर्माण विभाग जब लोगों के काम करेगा और ठेकेदारों को भुगतान नहीं करेगा तो कमीशनखोरी का आरोप लगेगा ही। भुगतान समय से नहीं होगा तो ठेकेदार काम भी नहीं करेंगे।इसके बाद उन पर दूसरा काम करने का भी दबाव बनाया जा रहा है। लंबित भुगतान रोकने से विभाग की मंशा में खोट नजर आती है। उन्होंने कहा कि चीफ इंजीनियर अगर अवकाश पर चले गए हैं तो क्या काम नहीं होगा। इसके बाद नगर आयुक्त बोले, एक्सईएन काम करना नहीं चाहते हैं तो पर्यावरण अभियंता एसके राठी को दो जोन का अतिरिक्त प्रभार दे दिया जाए।वर्कऑर्डर जारी कर सोमवार से शुरू करें काम समीक्षा बैठक में कहा गया कि जलकल और पर्यावरण समेत कई कार्यों के लिए नौ करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। डोर-टू-डोर, 15 नलकूप के साथ कई वार्डों में पाइपलाइन बिछाई जाएगी। अब आचार संहिता हट गई है, तुरंत वर्क ऑर्डर जारी कर सोमवार से काम शुरू कर दिया जाए। कुतुबखाना पुल के नीचे और दोनों तरफ जाम की समस्या के निदान के लिए ट्रांसफार्मर हटाकर सड़क को चौड़ा कराने का काम भी अगले सप्ताह शुरू कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि सभी पार्षदों से 50- 50 लाख रुपये के कामों का प्रस्ताव मांगा गया है। एक सप्ताह के भीतर कार्ययोजना तैयार कर लें ताकि सभी वार्डों में काम शुरू हो सकें।