पिता मेरा साया,सर की छाया - प्रशान्त कुमार पी. के.

पिता नाव जीवन की है...
पिता छाँव बरगद सी है..
पिता हमारी है पहचान...
पिता से हमको मिलता नाम..
पिता हमारा है संसार...
पिता हमारा है आधार...
पिता से ऊंचा न आकाश...
पिता है जीवन का मधुमास..
पिता हमारे जीवन की आश...
पिता ईश्वर का है प्रतिरूप...
पिता है सब परिजन का भूप...
पिता सखा बचपन का है...
कंधे पे जगत को देखा है...
पिता हमारा साया है...
हर संग संग कदम उठाया है...
पिता ने चलना सिखाया है...
थाम के उंगली घुमाया है...
पिता है हर जिद का विश्वास..
पूरी करता मन की हर आश..
हारे मन की पिता प्रेरणा..
जीवन की हर जीत की तृष्णा...
पिता है स्वच्छ साफ सा दर्पण..
जिसका तन मन संतति को अर्पण
पिता है निज संतति की दीद..
संतति पिता की हर उम्मीद..
पिता संतति के मन की आँखें..
संतति के अंतर्मन को झांके..
पिता ईश्वर की अद्भुत रचना..
संतति की गढ़ता संरचना..
पिता सफलता की चाबी है..
आवश्यकता अवश्यम्भावी है..
पिता हमारा अवलंबन है..
संतति की हर इक धड़कन है..
पिता संतति का पथ प्रदर्शक है..
पिता संतति की जीवन पुस्तक है
पिता हमारा जीवन परिचय है..
शीश आशीष पिता अक्षय है..
पिता है तीन लोक आकार...
कोटि कोटि हम पर उपकार..
पिता का दायित्व अविचल अविराम है..
पिता को कोटि कोटि प्रणाम है
पिता हमारा है आधार..
बारम्बार उनका आभार..

प्रशान्त कुमार"पी.के."
� � � � � � साहित्य वीर अलंकृत
� � � � � � � � � �आशुकवि
� � � � � � � � पाली, हरदोई
� � � � � � � � �उत्तर प्रदेश