एक दरोगा व एक सेवानिवृत्त दरोगा तथा एक सेवानिवृत्त अध्यापक के विरुद्ध न्यायालय के आदेश पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

फर्रुखाबाद (मेरापुर)।थाना व कस्बा मेरापुर तथा हाल पता 134 राधापुरम आई आई टी कल्यानपुर थाना कल्यानपुर जनपद कानपुर नगर निवासी मोहित शुक्ला पुत्र सूर्य प्रकाश शुक्ला ने मेरापुर थाना क्षेत्र के गांव दहेलिया निवासी उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग से उपनिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त विनोद कुमार पुत्र अवध सिंह व इनके बडे़ भाई सेवानिवृत्त अध्यापक दिनेश कुमार एवं उत्तर प्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक पद पर कार्यरत छोटे भाई प्रमोद कुमार के विरुद्ध न्यायालय के आदेश पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।तहरीर के अनुसार पीड़ित मोहित के बाबा ओमप्रकाश पुत्र ब्रह्मानंद के सगे बड़े भाई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश प्रसाद थे। जगदीश प्रसाद अविवाहित थे।कानपुर नगर में 7 फरवरी 1993 को जगदीश प्रसाद की मृत्यु हो गई।ओमप्रकाश के क्रमशः दो पुत्र सूर्य प्रकाश व चंद्रशेखर शुक्ला थे।चूकि मोहित के चाचा चंद्रशेखर अविवाहित थे इसलिए सूर्य प्रकाश व चंद्रशेखर की मृत्यु के पश्चात जगदीश प्रसाद की अचल सम्पत्ति के वारिसान सूर्य प्रकाश के पुत्र शैलेंद्र,आकाश,मोहित व पुत्री भावना तथा पत्नी ऊषा शुक्ला एवं बृजेश कुमारी शुक्ला हुए।इस कारण जगदीश प्रसाद की मृत्यु के बाद बतौर वारिसान उपरोक्त दिए गए नाम खसरा खतौनी में बतौर वारिसान दर्ज किए गए। बाबा ताऊ जगदीश प्रसाद गांव छोड़कर कानपुर नगर में आकर रहने लगे थे यहां पर दर्शन पुरवा कानपुर में उनकी मृत्यु हुई थी मोहित का ग्राम मेरापुर व दहेलिया में स्थित अचल संपत्ति पर पूर्ण रूप से कब्जा दखल चला आ रहा है जगदीश प्रसाद की आराजी गाटा संख्या 1578 स्थित ग्राम मेरापुर तहसील सदर जिला फर्रुखाबाद क्षेत्रफल 2.99 एकड़ का फर्जी बैनामा सब रजिस्ट्रार तहसील सदर से मिलकर विनोद कुमार,दिनेश कुमार,प्रमोद कुमार पुत्रगण अवध सिंह व रूपलाल,जयंती प्रसाद,सोनेलाल पुत्रगण सरनाम सिंह निवासी ग्राम दहेलिया थाना मेरापुर ने 15 सितम्बर 1986 को करा लिया था। इस बैनामा पर जगदीश प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए हैं उनके हस्ताक्षर नहीं है बैनामा में पुश्त पर शराब पिए हुए अंकित है। इस बैनामा पर रामनिवास सिंह पुत्र सरनाम सिंह रघुवीर सिंह प्रधान पुत्र श्रीकांत सिंह निवासी ग्राम दहेलिया थाना मेरापुर के हस्ताक्षर बतौर गवाह अंकित है। इसमें भी उनकी साजिश है बैनामा में हस्ताक्षर पूर्ण रूप से फर्जी किए गए हैं उपरोक्त सभी व्यक्तियों ने षड्यंत्र रच कर फर्जी बैनामा करवाया है जिसके अवलोकन से ही फर्जी प्रतीत होता है फर्जी बैनामा 15 सितंबर 1986 को कराया गया परंतु बैनामा कर्तागण ने कृत भूमि अपने नाम हस्तांतरण करवाने हेतु दिनांक 15 सितंबर 1986 से लेकर 3 मई 1993 तक कोई भी हस्तांतरण प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया प्रथम बार 3 मई 1993 को लेखपाल की हस्तांतरण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिस पर नं0मु0 240/1993 दर्ज रजिस्टर हुआ। हस्तांतरण मुकदमा दर्ज होने से पूर्व ही जगदीश प्रसाद की की मृत्यु हो चुकी थी इसमें केवल जगदीश प्रसाद को ही विपक्षी बनाया गया उनके किसी भी वारिस को विपक्षी प्रतिवादी नहीं बनाया गया जगदीश प्रसाद के नाम से नोटिस जारी किया गया उसमें तत्कालीन ग्राम प्रधान रघुवीर सिंह की रिपोर्ट लगा दी कि जगदीश प्रसाद कानपुर में रहते हैं जबकि उनकी मृत्यु हो चुकी थी उनकी उपरोक्त बैनामाकर्ता ने फर्जी तामील कराई जगदीश प्रसाद का फर्जी शपथ पत्र नायब तहसीलदार फर्रुखाबाद के न्यायालय में दाखिल किया गया तथा उसमें यह अंकित किया गया कि उनको किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं है जबकि इस दाखिल खारिज होने से पूर्व जगदीश प्रसाद की मृत्यु हो चुकी थी इस प्रकार उपरोक्त व्यक्तियों ने फर्जी बैनामा करवाकर कूट रचना करके भूमि अपने नाम हस्तांतरण करवा ली इसमें एक बैनामा कर्ता प्रमोद कुमार उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं इस फर्जी बैनामा की जानकारी मोहित को तब हुई जब उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी प्रथम सूचना रिपोर्ट मोहित के परिवार के विरुद्ध दर्ज करवाई तब मोहित ने सब प्रपत्रों की जानकारी की तब सही तथ्य सामने आए। इससे ज्ञात हुआ कि उपरोक्त विनोद कुमार दिनेश कुमार प्रमोद कुमार व रूपलाल जयंती प्रसाद सोनेलाल तथा गवार रामनिवास तत्कालीन ग्राम प्रधान रघुवीर सिंह निवासी गगण दहेलिया ने तहसील सदर सब रजिस्ट्रार तहसीलदार सदर से मिलकर फर्जी कूट रचित बैनामा करवा लिया मोहित को यह भी जानकारी मिली थी रूपलाल,जयंती प्रसाद,रामनिवास सिंह,रघुवीर सिंह,सोनेलाल की मृत्यु हो चुकी है मोहित ने मुकदमा कायम कराने हेतु पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई तब जाकर मोहित ने न्यायालय की शरण ली न्यायालय के आदेश पर उपरोक्त आरोपितों के विरुद्ध मेरापुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मुकदमे की जांच दरोगा जितेंद्र कुमार के सुपुर्द कर दी।