भारतीय रेलवे क्यों नही कर रहा रिजर्वेशन प्रणाली में बदलाव

भारतीय रेलवे क्यों नही कर रहा रिजर्वेशन प्रणाली में बदलाव

रिजर्वेशन के दौरान फुल ओर यात्रा के दौरान खाली

जिस तेजी से विकाश के आंकड़े लगातार रेलवे की तरफ से आते है उसके बावजूद आज भी रेल यात्रियों को लाभ क्यों नही मिल रहा है आरक्षित सीट का , क्यों भटक रहा है रेलवे का यात्री ओर क्यों परेशान रहता है इस पर गहनता से रेलवे शायद विचार ही नही कर रहा है क्योंकि रिजर्वेशन सारणी देखते है तो एक भी टिकट आसानी से नही मिलती जबकि कई सम्बन्धित ट्रेनें खाली भी रह जाती है उसके पहले तो यात्री अपना प्लान दूसरी तरफ कर लेता है ।

टिकट बनवाते समय आधार के जरिये OTP सुविधा हो
अगर रेलवे को टिकट ब्लेक करने वाले दलालों से छुटकारा पाना है तो रेलवे को चाहिए कि सभी यात्री ट्रेनों में एक PNR में आधार नम्बर दे और उससे जुड़े रजिस्टर्ड मोबाइल पर उसका मेसेज जाए और ओटीपी आने के बाद टिकट बनाने वाला क्लर्क या एजेंट उसमे भरे तब जाकर टिकट बने तो शायद ब्लेक वाली टिकटो पर विराम लग जायेगा । तत्काल के समय से 5 से 10 मिनट पूर्व रेलवे खिड़की पर टिकट बनाने वाले यात्री का पुरा डेटा उसमे टिकट खिड़की पर बैठा सम्बन्धित क्लर्क द्वारा अपलोड कर दिया जाता है और जैसे ही निर्धारित समय होता है ALT+SHIFT उसके बाद इंटर बटन का प्रत्येक टिकट में करता जाता है जिससे सभी टिकटे 1 से 3 मिनट में बन जाती है ओर रेलवे ओर PRS सिस्टम इस खामी को अनदेखा कर रहा है तथा टिकट खिड़की पर बैठा क्लर्क इसका फायदा भी उठा रहा है । इस सम्बंध में कई बार रेलवे मंत्री को ट्वीट भी किया है लेकिन PRS सिस्टम में आज दिन ये बदलाव नही किया कि क्यों और कैसे टिकट खिड़की पर बैठा क्लर्क रिजर्वेशन साईट पर तत्काल के समय पहले से डेटा अपलोड कर सकता है जबकि समय से पूर्व की गतिविधि को रेलवे द्वारा रोका जाना चाहिए लेकिन इस प्रक्रिया को बन्द नही किया जा रहा है जिससे खिड़की से जुड़े एजेंटों की बल्ले बल्ले हो रही है ।

ट्रेन पर अतिरिक्त भर के समय अतरिक्त कोच हो
रेलवे से निवेदन है कि जल्द से जल्द खामियों को दूर करें जिससे किसी भी यात्री को भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो , दिनो दिन यात्री भार भी बढता जा रहा है ऐसे में रेलवे को उस मार्ग पर चल रही समस्त यात्री ट्रेनों में कम से कम 1 3rd कोच ऐसी , 2 स्लीपर , 1 जनरल कोच की संख्या अतिरिक्त कर देनी चाहिए जब तक कि एक पूरी ट्रेन के हिसाब से कोच की व्यवस्था न हो जाये ।

सीनियर सिटीजन , गंभीर रोगों ओर गर्भवती महिला के अलग अलग कोटे
बुजुर्ग यात्री के कोटे को भी बढ़ाना चाहिए ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो और साथ मे गर्भवती महिला के लिए अलग से रिर्जव सीट प्रत्येक बोगी में होनी चाहिए जिससे उस महिला को तुरन्त सीट हासिल हो सके । इसके अलावा गम्भीर रोगियों के लिए भी सीट अलग से आरक्षित होनी चाहिए ।

लम्बी दूरी की ट्रेनों में शुरू से आखिर की रिजर्वेशन प्रणाली में बदलाव हो
लंबी दूरी की जितनी भी ट्रेन पुरे भारत में चल रही है उन सभी ट्रेनों में शुरू से 300km तक कि दूरी को एक आधार मानते हुए आखिरी स्टेशन की टिकट का 20 प्रतिशत आरक्षित रखना चाहिए उससे पहले जब पुरी ट्रेन खाली हो ये रिजर्व कोटा उसमे से लेस न हो जैसे ही ये कोटा फुल नही होता है उसके बाद 20 प्रतिशत रिजर्व कोटे से सीट आरक्षित हो सके ऐसी व्यवस्था रेलवे करना चाहिए ।


IRCTC में टिकट रिंफड़ में बदलाव हो
वर्तमान में किसी भी IRCTC एजेंट से टिकट बनवाते समय उसका रिफंड का पैसा सम्बन्धित रेलवे द्वारा अधिकृत (PSP) प्रिंसिपल कम्पनी के मार्फ़त एजेंट के वॉलेट में आता है अगर इस दौरान प्रिंसिपल कम्पनी फ़्रॉड करके कम्पनी बन्द कर देती है तो उसका रिफंड एजेंट के पास नही आता जिसके चलते वो रुपया अपने कस्टमर को नही दे पाता है ऐसे में रेलवे को इसमे बदलाव करना चाहिए कि जो यात्री टिकट बना रहा है वहां पर उस कस्टमर की बैंक डिटेल भी हो जिससे उसका रिफंड सीधा उसके बैंक खाते में आये ताकि भविष्य में कोई भी प्रिंसिपल कम्पनी पैसा लेकर रफूचक्कर न हो , हाल ही में आरज़ू नाम की प्रिंसिपल कम्पनी एजेंटों के जमा रुपये ओर रिफंड के रुपये लेकर गायब है और IRCTC ओर भारतीय रेलवे उन एजेंटों को उनका जमा रुपया दिलवाने में नाकाम रही है ओर ना ही अभी तक ऐसी कम्पनी के ऊपर कार्यवाही की सूचना जाहिर की है तो क्या IRCTC ओर भारतीय रेलवे का ये दायित्व नही है कि ऐसी कंपनियों के शिकार IRCTC एजेंट ओर यात्री न बने ।
क्या भारतीय रेलवे PRS सिस्टम में बदलाव करेगा जिससे सभी को राहत मिल सके और सुकून भरी यात्रा सभी यात्री कर सके ।