कुरूद में धूमधाम से मनाया गया चेट्री चड्र पर्व ,स्कूटर रैली में महिलाओं ने भी लिया हिस्सा।

कुरूद:-सिंधी समाज के आराध्य भगवान झूलेलाल जी की जयंती को चैट्रीचंड्र पर्व के रूप में मनाया जाता है। चेट्रीचंड्र महोत्सव ( सिंधी दिवस) के अवसर पर शनिवार 2 अप्रैल को दोपहर 11:30 बजे कुरूद के पूज्य सिंधी गुरुद्वारा साहिब से सिंधी समाज की महिलाओं और पुरुषों ने स्कूटर रैली निकालकर प्रतिभा,आत्मनिर्भरता तथा आत्मबल का लोहा मनवाया। इस भव्य स्कूटर रैली में सफेद ड्रेस, ऑरेंज दुपट्टा ,भगवा पगड़ी इस परंपरागत वेशभूषा में सजे महिला एवं पुरुषों में काफी उत्साह नजर आया। उत्साहवर्धन के लिए स्कूटर रैली के आगे डीजे वाहन रखा गया था जहां आयोलाल- झूलेलाल , सिंधी दिवस अमर रहें , जय जय झूलेलाल के जयघोष के बीच सिंधी लोकगीतों की धुनों के साथ स्कूटर रैली पूज्य सिंधी गुरुद्वारा से गांधी चौक से पुराना बाजार मार्ग होते हुए सरोजनी चौक से आगे बढ़ी तथा कारगिल चौक ,नया बस स्टैंड ,बाई पास मार्ग,सूर्यनमस्कार चौक होते हुए पूज्य सिंधी गुरुद्वारा पहुंची।
कतारबद्ध व अनुशासन के साथ निकाली गई स्कूटर रैली को देखने के लिए सड़क के दोनों तरफ भीड़ उमड़ी तथा लोगों ने हौसला अफजाई की।
इस स्कूटर रैली के माध्यम से नगर भ्रमण करते हुए शांति सद्भावना और आपसी भाईचारे का संदेश दिया गया।
रैली के गंतव्य स्थान पर पहुंचने के बाद सिंधी धर्मशाला में लंगर प्रसादी रखा गया। शाम को समाज द्वारा बहराणा साहिब निकाला गया जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुवे दरियाशाह(तालाब) में विसर्जित किया गया।

क्यो मनाया जाता हैं चेट्री चड्र

सिंधी समुदाय का त्योहार भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव ?चेटीचंड? के रूप में पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्योहार से जुड़ी हुई वैसे तो कई किवंदतियाँ हैं परंतु प्रमुख यह है कि चूँकि सिंधी समुदाय व्यापारिक वर्ग रहा है सो ये व्यापार के लिए जब जलमार्ग से गुजरते थे तो कई विपदाओं का सामना करना पड़ता था।

जैसे समुद्री तूफान, जीव-जंतु, चट्?टानें व समुद्री दस्यु गिरोह जो लूटपाट मचाकर व्यापारियों का सारा माल लूट लेते थे। इसलिए इनके यात्रा के लिए जाते समय ही महिलाएँ वरुण देवता की स्तुति करती थीं व तरह-तरह की मन्नते माँगती थीं। चूँकि भगवान झूलेलाल जल के देवता हैं अत: ये सिंधी लोग के आराध्य देव माने जाते हैं। जब पुरुष वर्ग सकुशल लौट आता था।
तब चेटीचंड को उत्सव के रूप में मनाया जाता था। मन्नतें पूरी की जाती थी व भंडारा किया जाता था।

इस अवसर पर नगर सिंधी समाज के मुखीगण कुशल सुखरामणी,तुलजाराम बजाज,मुरलीधर बजाज,कन्हैया नवलानी,मुरलीधर शादीजा,प्रभात शादीजा,आशीष शादीजा,विक्रांत सुखरामणी,सुरेश वर्दयानी,राजकुमार सुखरामणी,श्याम जादवानी,दिलीप जादवानी,राजकुमार चैनवानी,राजेश चैनवानी,प्रकाश चैनवानी,संजय चैनवानी,डॉक्टर राजेन्द्र बजाज,मनोज मखीजा,आकाश रमानी केवल जसूजा,मनोहर मोटवानी,राजेश बजाज,लक्ष्मणदास बजाज,रमेश बजाज,बबलू बजाज,नरेश बजाज,दीपक बजाज,अनिल बजाज,राजकुमार बजाज,दिनु असरानी,वीनू असरानी,गालो रतलानी, मनोहर सुन्दरानी,सौरभ जगवानी,सुनील जेठानी,रवि बजाज,महेंद्र चैनवानी,बंटी बजाज,घनश्याम दास नोतवानी,महेश सचदेवा,विजय सचदेवा,नरेश सचदेवा,विनोद सचदेवा,सहित सिंधी समाज के महिला, पुरूष मौजूद रहे।