मुशायरा - हवेली, झोपड़ी सब का मुकद्दर फूट जायेगा, अगर ये साथ हिंदू मुस्लिम का छूट जायेगा।

ब्यूरो रिपोर्ट -- जमाल खांन पत्रकार (परछा)

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मौदहा हमीरपुर। कस्बा स्थित रहमानिया इंटर कॉलेज सहित कई संस्थाओं के संस्थापक मौलाना सैय्यद सलीम ज़ाफरी की याद में बीती रात आल इण्डिया मुशायरा में दूर दराज से आये जाने माने शायरों ने मोहब्बतों से भरी गजलें, आर्थिक, राजनीतिक, मुद्दों व आज के हालात पर अपने शेरो शायरी से पूरी रात श्रोताओं को आनंदित भी किया,कभी हंसाया तो कभी जज़्बातों को उभार जमकर वाहवाही लूटी। इस मुशायरे का उद्घाटन मुख्य अतिथि जनाब कमरूद्दीन व विशिष्ट अतिथि सपा नेता जीतेंद्र मिश्रा ने मुशायरा कमेटी के अध्यक्ष रज़ा मुहम्मद श्रीनाथ, संयोजक निज़ामुद्दीन पावर तथा इसकी अध्यक्षता करने वाले समाजसेवी ऐनुद्दीन उर्फ मौलाना खांन (सुमेरपुर) ने समां जलाकर किया। मुशायरे का संचालन करते हुए जाने माने शायर नदीम फर्रूख़ ने मऊ से आये नौजवान शायर मुजाहिद उल इस्लाम से नात पाक के साथ मुशायरे की शुरुआत करायी। इस अवसर पर समाजसेवी किसान नेता रज़ा मुहम्मद ने मौजूदा राजनीतिक हालात की चर्चा करते हुए नौजवान को आह्वान करते हुए कहा कि हिंदुवादी संगठन देश की एकता अखंडता को तोड़ना चाहते हैं, भगवान राम जो हम सब के जीवन को खुशहाल बनाने वाले हैं उन्हें अपने लाभ के लिए हमसे दूर करना चाहते हैं,हम गोरों से लड़े थे और अब चोरों से भी लड़ना पड़ रहा है। जबकि मौलाना खांन ने इस्लाम के पैगम्बर का हवाला देते हुए कहा कि हम मोहब्बतें पैदा करने वाले हैं, नफरतों को भी गले से लगाने वाले हैं। जबकि जीतेंद्र मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि नफरत पैदा करने वाली कौन सी धार्मिक किताब है जिसका अध्ययन कुछ लोगों ने ही किया है, मुसलमान शांति से काम कर रहा है, मुसलमान का मतलब ही है ईमान वाला। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार बनवायें, नेता वही है जो दिलों में राज करे। जबकि जुगनू भाई ने अपने संबोधन में कहा कि आप सब अपने आप में सुधार करें,मेरा मकसद मौदहा के लोगों के दिलों को जीतना है जिसके लिए मैंने बहुत कुछ किया है और करता रहूंगा। उन्होंने इन कार्यक्रमों के लिए निज़ामुद्दीन पावर व बीतू बादशाह,अनीस अहमद सहित कमेटी के लोगों की जमकर प्रशंसा भी की। मुशायरे की शुरुआत मशहूर शायर फरीद मौधवी से की जिन्होंने अपने कलाम को बखूबी अंजाम दिया, वहीं संचालनकर्ता ने गजल के बेहतरीन शायर अफ़ज़ल इलाहाबादी को माइक पर बुलाया जिस पर उन्होंने पढ़ा कि दफ्न हूं तामीर में ईसार का पैकर हूं मैं,कौन देखेगा मुझे बुनियाद का पत्थर हूं मैं। जिस पर लोगों ने शायर को खूब सराहा। भुसावल से आये शायर हामिद भुसावली ने पढ़ा कि आजादी ए वतन में शामिल हमारा लहू भी है,जो कम नज़र है उनको नजर कैसे आएगा। अमरोहा से आई मशहूर शायरा निकहत अमरोही ने पढ़ा कि तेरी चाहत से मैं इंकार नहीं कर सकती,फिर भी जो हद है वो हद पार नहीं कर सकती। दफ्न खुद कर सकती हूं अपनी मोहब्बतों को मगर घर की इज्ज़त में कोई वार नहीं कर सकती। फिरोजाबाद से आये मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी ने आज के हालात को अपने शायरी में समेट पढ़ा कि- है मेरा झूठ का कारोबार है मेरी कांधों पर सरकार कि मैं एक पत्रकार हूं। मुजफ्फरनगर जिले से आए शायर खुर्शीद हैदर ने पढ़ा कि किसी का कल संवारा जा रहा है, हमें किश्तों में मारा जा रहा है। किसी की ताजपोशी हो रही है किसी का सर उतारा जा रहा है। अपने तल्ख लहजे की शायरी से पहचान बना चुके शायर जौहर कानपुरी ने पढ़ा कि फासला जितना है दो सांसो के बीच, जिंदगी मौत से उतनी दूर है।और आगे कहा कि जीतने का यह हुनर भी आजमाना चाहिए, भाइयों से जंग हो तो हार जाना चाहिए। हवेली, झोपड़ी सब का मुकद्दर फूट जायेगा अगर ये साथ हिंदू मुस्लिम का छूट जायेगा। इसके अलावा मीसम गोपालपुरी,अज्म शाकरी तथा मसीह निजामी सहित रूखशार बलरामपुरी ने भी आज के हालात को लोगों के सामने रखते हुए अपने कलाम पेश किये और जमकर वाहवाही बटोरी। इस तरह पूरी रात मुशायरा चलने के बाद जाते जाते लोगों ने इस मुशायरे की प्रशंसा की।