चकिया- क्षेत्र में पर्यटक स्थलों का हाल हुआ बेहाल, ईकोटूरिज्म पर भी अभी तक नहीं शुरू हो सका काम 

चकिया- क्षेत्र में पर्यटक स्थलों का हाल हुआ बेहाल, ईकोटूरिज्म पर भी अभी तक नहीं शुरू हो सका काम

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- विंध्य पर्वत श्रृंखला के तलहटी में चकिया और नवगढ़ क्षेत्र के पर्यटक स्थल काफी प्रसिद्ध हैं। पर उनके विकास के सभी दावे हवा हवाई ही साबित हुए हैं। राजदरी, देवदरी और लतीफशाह जलप्रपात को देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।लेकिन यहां आज तक बेहतर व्यवस्थाएं नहीं हो सकी हैं। चंदौली सोनभद्र और मिर्जापुर को इको टूरिज्म के तहत विकसित करने के दावे तो किए गए पर अभी तक कुछ भी कार्य शुरू नहीं किया जा सका है।

क्षेत्र के पर्यटन स्थलों का विकास कर स्थानीय लोगों की रोजगार से जोड़ने तथा सरकारी राजस्व बढ़ाने एवं लोगों के मेडिटेशन के लिए अच्छा उपयोग किया जा सकता है। क्षेत्र में जागेश्वर नाथ धाम मंदिर परिसर में इंटरलॉकिंग लगाने के अलावा पर्यटन विभाग के काम के कोई चिह्न दिखाई नहीं देते। चकिया क्षेत्र के जागेश्वर नाथ धाम,मां काली जी का ऐतिहासिक मंदिर,बाबा लतीफ शाह की मजार, वनदेवी मंदिर दुल्हियादाई, कोट भवानी मंदिर सिकंदरपुर स्थित बाबा कोट सहित प्राचीन आध्यात्मिक केंद्र, घुरहूपुर बौद्ध बिहार, मां मंगला गौरी, पहाड़ियों एवं मैदानी क्षेत्र में स्थित उत्तर पाषाण काल महाकाल गुप्त काल के अवशेष एवं शिकारगंज क्षेत्र में गहरवार वंश के आने का पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है।

इसके बावजूद भी उसे पुरातत्व विभाग से भी नहीं जोड़ा गया है। सबसे प्रमुख स्थल राजदरी, देवदरी, व लतीफशाह जलप्रपात को भी अभी तक पर्यटन विभाग द्वारा विकसित नहीं किया जा सका है। अभी तक यहां सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था भी नहीं की जा सकती है जिसके कारण हर साल 10 से ज्यादा लोगों की लापरवाही के चलते जान चली जाती है और अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

*चंद्रकांता के भित्ति चित्र की भी अनदेखी*
नवगढ़ क्षेत्र में कोईलरवा हनुमान जी मंदिर, दुर्गा मंदिर, अमरा भवानी मंदिर, चंद्रकांता के अवशेष प्रागैतिहासिक युग के भित्ति चित्र भी पर्यटन विभाग के लिए मुख्य स्थल है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम का ध्यान इस ओर बिल्कुल भी नहीं है। कोईलरवा हनुमान जी, जागेश्वर नाथ धाम, लतीफ शाह की मजार,तथा मां मंगला गौरी पर क्षेत्र में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता सिंह व छत्रपाल सिंह के सहयोग से जिला पंचायत के अंतर्गत दर्शनार्थियों के लिए टीम सेट सहित अन्य कार्य हुए हैं।

*पर्यटकों को लुभाती है राजदरी-देवदरी की मनोरम छटा*
चंद्रप्रभा सेंचुरी में स्थित राज दरी देव दरी जलप्रपात पर मनोरम छटा किसी से छुपी नहीं है। और इसका परिणाम यह है कि यहां सावन भादो के महीने में कश्मीर व पहलगाम की सुषमा समेटे वादियों को निहारने के लिए पूर्वांचल समेत नीदरलैंड हालैंड जापान सहित अन्य परदेसी पर्यटक खुद-ब-खुद खींचे चले आते हैं। सरकार इस पर विशेष ध्यान दें। और यहां व्यवस्थाएं की जाएं,तो पर्यटन की अपार संभावनाएं हो सकती हैं।

*क्या कहते हैं अधिकारी*
वही इस संबंध में डीएफओ दिनेश सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र को पर्यटन हब बनाने की कवायद आरंभ हो चुकी है। इसके तहत वाराणसी चंद्रकांता इको पर्यटन सर्किट बनाने की योजना भी प्रस्तावित है।