चकिया- जिला संयुक्त चिकित्सालय में औचक निरीक्षण करने पहुंचे डीएम, अनुपस्थित मिले डाक्टर व कर्मचारी,वेतन काटने के दिए निर्देश 

चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय में औचक निरीक्षण करने पहुंचे डीएम, अनुपस्थित मिले डाक्टर व कर्मचारी,वेतन काटने के दिए निर्देश

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- शासन के निर्देशानुसार जहां एक तरफ स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाने के लिए लगातार योजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे मरीजों को सहूलियत मिल सके और उन्हें किसी प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सके। लेकिन कहीं-कहीं शासन के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारी खुद लापरवाही बरत रहे हैं।जहां जिला प्रशासन के निरीक्षण के दौरान केवल जांच पड़ताल और कार्रवाई के नाम पर को रामपुर से की जाती है। और किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई ना कर कर्मचारियों एवं उससे जुड़े अधिकारियों का मनोबल बढ़ाया जाता है।

जहां शनिवार की दोपहर जिलाधिकारी संजीव सिंह ने स्थानीय जिला संयुक्त चिकित्सालय में पहुंचकर औचक निरीक्षण किया। जहां अचानक डीएमके चमकने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों में खलबली मच गई वही जिलाधिकारी ने वार्ड में पहुंचकर मरीजों से बातचीत किया। जहां तहसील क्षेत्र के डहिया गांव की मरीज सुनीता देवी ने शिकायत किया कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर से दवाइयां वजह से लिखा जाता है। जिसकी सच्चाई के लिए डीएम ने अन्य मरीजों से भी बात किया तो मामला सच में खुलकर सामने आया। वहीं जांच के दौरान डॉ अलका राय व ओपीडी देख रहे अन्य चिकित्सक के द्वारा भी बाहरी दवाओं व जांच की पर्चियां पाई गई। जहां अनुपस्थित पाए जाने वाले चिकित्सक व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए डीएम ने उनका 1 दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए। वहीं उन्होंने इसके साथ ऑक्सीजन प्लांट, मुख्य गेट पर बने प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना के तहत बनाए गए मेडिकल स्टोर एवं पुनर्वास केंद्र रसोईघर इत्यादि का भी निरीक्षण किया और जानकारी लें जहां कमियां मिलने पर संबंधित को कड़ी फटकार लगाई और जल्द से जल्द सभी कमियों को दूर करने के निर्देश दिए।

*कर्मचारियों का वेतन काटने के बजाय कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करते डीएम-----------*
लेकिन वहीं अगर देखा जाए तो लगातार डीएम द्वारा हर सप्ताह किसी न किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों का निरीक्षण किया जाता है और स्वास्थ्य सुविधाओं से खराब मिलने पर उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाते हैं और वेतन काटने की कार्रवाई की जाती है लेकिन आखिरकार सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीएम के निरीक्षण पर कार्रवाई के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी पर क्यों नहीं आ रही हैं। कर्मचारियों और शास्त्र विभाग के अधिकारियों का वेतन रोकने की बजाय डीएम द्वारा कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। अगर सूत्रों की माने तो वेतन काटने के निर्देश देकर चले जाने वाले अधिकारियों को विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों से लिफाफे की इंतजार रहती है। और उसके पहुंचते ही सारी कार्रवाई की कागजात साहब थे हाई लेवल अलमारियों में दबा ही रह जाता है। और महाकवि पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है जिससे अपने पुराने ढर्रे पर चल कर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी फिर से लापरवाही बरतना शुरू कर देते हैं और आम जनमानस सहित मरीजों को भी परेशानियां उठानी पड़ती हैं।