चकिया- क्षेत्र के जंगलों में तेंदुआ दिखने के बाद वन विभाग की टीम ने चलाया कांबिंग अभियान, लोगों से सतर्क रहने का किया अपील

चकिया- क्षेत्र के जंगलों में तेंदुआ दिखने के बाद वन विभाग की टीम ने चलाया कांबिंग अभियान, लोगों से सतर्क रहने का किया अपील

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- तेंदुओ की काशी वन्य जीव प्रभाग में मौजूदगी का वर्तमान में सही आंकड़ा वन विभाग के पास मौजूद नहीं है। वर्ष 2016 में हुई वन्य जीव गणना का ही आकड़ा वन विभाग के पास है। तेंदुओ की वास्तवित वर्तमान संख्या की जानकारी किसी के पास नहीं है। बुधवार की शाम काशी वन्य जीव प्रभाग के चकिया रेंज के अंतर्गत कोइलरवा हनुमान जाने वाले मार्ग पर तेंदुए के दिखाई देने के बाद वन क्षेत्र में पिकनिक मनाने जाने वाले सैलानियों में दहशत व्याप्त है।

वर्ष 2016 के उपलब्ध वन्य जीव गणना के आकड़े के अनुसार वन क्षेत्र में दो नर एक मादा तथा तीन शावकों की उपस्थिति वन क्षेत्र में पायी गयी थी। इसके बाद पांच वर्ष बीत गये है तथा शावक भी बड़े तेुदओं के रूप में बदल गये हैं तथा उनकी आबादी भी निश्चित रूप से बढ़ गयी है। कोइलरवा हनुमान जी के वन क्षेत्र में तेंदुआ देखा जाना सनसनी के लिए बड़ी बात हो सकती है लेकिन तेंदुआ वन क्षेत्र में नहीं रहेगा तो कहां रहेगा का प्रश्न खड़ा है।

बुधवार की शाम कोइलरवा हनुमान जी जाने वाले रास्ते पर तेंदुआ का वीडियो वायरल होने के बाद वन विभाग भी सक्रिय हो गया है। बृहस्पतिवार को चकिया रेंजर अकबाल बहादुर सिंह वनकर्मियो के साथ कोइलरवा हनुमान जंगल में पहुंचे तथा तेंदुओ की तलाश में काम्बिंग अभियान चलाया। लेकिन वन क्षेत्र में कहीं भी तेंदुये का पता नहीं चल सका। उन्होंने कोइलरवा हनुमान जी पर पिकनिक मना रहे लोगों से सतर्क रहने की अपील की।
चकिया रेंजर अकबाल बहादुर सिंह ने कहा कि कोइलरवा हनुमान जी के रास्ते पर दिखाई देने वाला तेंदुआ सम्भवत: नर तेंदुआ था। मादा तेंदुआ के साथ हमेशा बच्चो की मौजूदगी देखी जाती है।उन्होंने कहा कि तेंदुआ देखे जाने के बाद क्षेत्र में खतरा बढ़ गया है। इसलिए सैलानी कोइलरवा हनुमान जी या वन क्षेत्र के किसी भी पिकनिक स्पाट पर जाने के लिए वाहनो का प्रयोग करे, पैदल कत्तई वन क्षेत्र में न जाये। उन्होंने सैलानियों को समूह में जाने की भी सलाह दी।

नौगढ। पिछले साल बीएचयू के विशेषज्ञों की एक टीम के जरिए वन विभाग ने सेंक्चुरी क्षेत्र में तेंदुओं के अन्य वन्यजीवों की गिनती कराई थी। टीम के द्वारा सात तरह के अलग-अलग फुट प्रिंट कलेक्ट किए। यह गिनती सीमित क्षेत्र में थी। इसलिए संख्या इससे अधिक होने का अनुमान हुआ। विशेषज्ञों की टीम ने सिटी अपडेट को बताया कि फुट प्रिंट के साइज से तेंदुओं के बारे में पता चल रहा है। कुछ बड़े हैं तो कुछ छोटे भी हैं। इनमें नर और मादा दोनों हैं। लिहाजा ब्रीडिंग भी हो रही है।

वही डीएफओ दिनेश सिंह ने बताया कि जंगल में तेंदुआ प्राकृतिक वास स्थल में विचरण कर रहा है। तेंदुआ खुद के बचाव में ही हमलावर होता है। यही वजह है कि वह आमतौर पर खतरनाक जानवर नहीं है। रात में अपना शिकार करता है और ओझल हो जाता है। उसकी मौजूदगी बताती है कि आसपास के माहौल को तेंदुए ने अडॉप्ट कर लिया है लोगों का डर दूर करने के लिए वन विभाग जागरूकता अभियान चलाएगा।

*तीन साल पहले पकड़ा गया तेंदुआ बना ?सम्राट?*
नौगढ़- करीब तीन साल पहले काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर के अंतर्गत जयमोहनी रेंज के धौठवा जंगल में शिकारियों के लगाए फंदे में एक तेंदुआ फंस गया था। उसे पकड़ कर बाहर निकालने में दो दिन लगे। कई पशुओं को तेंदुए ने तोड़ दिया था। तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव (आई एफ एस) सुनील चौधरी ने जंगल में बड़ा पिंजरा लगाकर रात में रेस्क्यू ऑपरेशन कराया और पकड़ने के बाद तेंदुए को कानपुर चिड़ियाघर भेज दिया। उसका पंजा घायल था। अब वह पूरी तरह ठीक हो चुका है। इंसानों के संपर्क में आने की वजह से उसे हमेशा चिड़ियाघर में रखने का फैसला किया गया है। उसका नाम सम्राट रखा गया।