नहर की सफाई के नाम पर हो रहा है जमकर बंदरबांट

- अधिशासी अभियंता बोलते हैं हर साल अक्टूबर में होती है सफाई तो ये घास का अंबार कैसे

- डलमऊ ब्लॉक का नरेंद्रपुर दाएं और बाएं माइनर घास से पटा

- ग्रामीणों ने अपने पैसों से जेसीबी मंगाकर करवाई नहर की सफाई तो आए हुए बजट का कहां हुआ बंदरबांट

- जिले में सिंचाई विभाग सिर्फ कागजों पर करवाता है सफाई सरकारी धन का खुलेआम होता है बंदर बांट

डलमऊ/रायबरेली- देश के मुखिया और प्रदेश के मुखिया किसानों को हर सरकारी योजनाओं का लाभ मिले सरकार द्वारा जारी की गई योजनाएं और पैदावार अनाज का उचित मूल्य मिले इसके लिए निरंतर प्रयत्नशील है और हर तरह से इसके प्रोत्साहन के लिए जागरूक भी करवा रही है।मगर जिले का हाल यह है धान के रोपाई का समय चल रहा है।सिंचाई विभाग की मनमानी और नहरों की सफाई के लिए आए पैसों का बंदरबांट इस तरह होता है कि ग्रामीणों को अपने चंदे से जेसीबी मंगवा कर नहरों की सफाई करवानी पड़ रही है। एक ऐसा ही ताजा मामला डलमऊ ब्लॉक के नरेंद्रपुर माइनर बाई और दाई साइड का है जहां पर आज बाई साइड के ग्रामीणों ने चंदा वसूल कर किराए की जेसीबी मंगवाई और उस जेसीबी से नहर की सफाई कराई। वही जुलाई माह में धान की रोपाई युद्ध स्तर पर की जाती है।इस सीजन में किसान अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए मानसून और नहरों पर टकटकी लगाए हुए हैं। खेतों में नहरों के जरिए पानी पहुंचाने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च करके नहरों की साफ-सफाई कराई जाती है लेकिन ठेकेदार और विभाग के मिलीभगत से नहरों की वैसी सफाई नहीं हो पाती, जैसी होनी चाहिए।वर्तमान समय में जिले की ज्यादातर नहरें घास और गंदगी से पटी पड़ी हैं। ऐसे में नहरों में पानी भी छोड़ा जाएगा तो हेट से टेल तक पहुंचना असंभव है। सिंचाई के लिए उत्तर प्रदेश में नहरों का जाल जरूर बिछा है लेकिन किसान को सिंचाई के लिए समय पर पानी नहीं मिल पाता है। हालात तो यहां तक हैं कि अब ग्रामीणों को अपने निजी खर्चों से नहर की सफाई करवानी पड रही है।विकासखंड डलमऊ क्षेत्र के पूरे बाबा (पश्चिम) से पूरे बच्चा सिंह (मध्य) तक छोटी नहर की सफाई न कराए जाने से नाराज किसानों व ग्रामीणों ने शनिवार को स्वयं चंदा इकट्ठा कर जेसीबी से सफाई करवा रहे हैं । इस दौरान उन्होंने नहर में उग आए झाड़-झंखाड़ की सफाई की। किसानों ने कहा कि नहर के झाड़-झंखाड़ से पट जाने के चलते उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इससे वे धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कई किसान धान की नर्सरी डालने के लिए नहर से पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि कई बार सिंचाई विभाग से नहर की साफ-सफाई कराने के लिए कहे जाने के बाद भी विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इससे किसानों का सब्र का बांध टूट गया है। आक्रोशित ग्रामीणों ने पूरे बाबा (पश्चिम) से पूरे बच्चा सिंह (मध्य) तक खुदाई अपने निजी खर्च से करवानी शुरू कर दी है साथ ही खुद भी श्रमदान किया।


क्या कहते हैं नहर विभाग के जिम्मेदार सहायक अभियंता रामचंद्र वर्मा...?

इस संबंध में जब सहायक अभियंता से बात की गई उन्होंने कहा नहरों की सफाई का बजट आता है।हर साल अक्टूबर माह में सफाई भी कराई जाती है।नरेंद्रपुर बाई साइड की सफाई कराई गई है उसके फोटो मेरे पास रखे हुए हैं।