रमजान: यहां लाकडाउन में हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर कर रहे इफ्तार का बंदोबस्त

सुल्तानपुर. मुस्लिम होली पर हिंदू भाई से गले मिलकर गुझिये की मिठास का आनंद लेता था, हिंदू दोस्त ईद पर मुस्लिम भाई से गले लगकर उसके घर की बनी सिवाइयों का लुत्फ। लेकिन जमाना गुजरा, नौबत ये आ गई कि धर्म और मजहब की सियासत ने समाज को बंधक अपना बनाया। उस समय में नेशनल यूनिटी फाउंडेशन के लोगों ने इस जंजीर को तोड़ने का बीड़ा उठा लिया। होली और ईद का इंतेजार किए बिना लाकडाउन में चल रहे रमजान से फाउंडेशन के सदस्यों ने समाज को संदेश देने के लिए हितकारी कदम उठाया। बड़ी तादाद में हिंदू-मुस्लिम भाईयों ने पैसे जमा किए और हर रोजेदार तक इफ्तार का सामान पहुंचाना शुरू कर दिया।

अब हम आपको बताते हैं कि नेशनल यूनिटी फाउंडेशन द्वारा वाट्स एप पर ग्रुप बनाया गया है। जिसमे मंगलवार को एक लिस्ट आई, जिसमे कुल 49 मेम्बर्स के डोनेशन का जिक्र था। इसमे 34 सदस्य हिंदू समुदाय से आते हैं। सभी ने अपनी स्वेच्छा वश अंशदान किया है। हजारो रुपए के अंशदान का मूल तात्पर्य एक है, भूखो तक राशन पहुंचे और रोजेदार तक इफ्तार का किट। ये इफ्तार और राशन किट फिलवक्त कंटेंमेंट जोन से बाहर स्थित शहर के गभड़िया मोहल्ले में स्थित 'लिटिल एंजिल्स स्कूल' में तैयार हो रही। रुस्तम मेंहदी के साथ कान्हा बरनवाल, अफसर मिर्जा समेत दर्जनो सदस्य रात को किट तैयार करते हैं और सुबह से गाड़ी पर रखकर मोहल्ला मोहल्ला और घर-घर जाकर पहुंचाते हैं। लाकडाउन में अब तक ये सदस्य 862 परिवारों में बिना भेदभाव के मदद पहुंचा चुके हैं। यही नही रमजान के दस दिनो में इन्होने 35 इफ्तार किट भी रोजदारो में पहुंचाई है। शहर के नबीपुर, डिहवा, सिरवारा रोड, कांशीराम कालोनी, रेलवे स्टेशन आदि जगहो पर इसे पहुंचाया गया। इससे साफ जाहिर है कि सियासी दलो द्वारा बदले गए सामाजिक वातावरण में आज भी गंगा-जमुनी तहजीब जिंदा है। और इसकी देन है 'नेशनल यूनिटी'।