बच्चों के साथ बचपन में घटित दुर्व्यहार से प्रभावित होती हैं संज्ञानात्मक क्षमता : डॉ जितेन्द्र कुमार उपाध्याय 

सुल्तानपुर : बचपनावस्था में बच्चों के साथ हुए किसी भी तरह के दुर्व्यवहार का बच्चों के स्वभाव, विचार, स्मृति आदि संज्ञानात्मक क्षमताओं पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर सुल्तानपुर के मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जितेन्द्र कुमार उपाध्याय के अनुसार मनोवैज्ञानिको द्वारा किये गये एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों के साथ बचपन में हुए दुर्व्यवहार के कारण बच्चों की स्मृति व सोचने-समझने की क्षमता, तर्कशीलता आदि प्रभावित हो सकती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इसको लेकर पूर्व में भी अध्ययन हुए लेकिन अध्ययन कर्ताओं द्वारा प्रदत्त परिणाम, पूर्वाग्रहों से ग्रसित व आच्छादित होने के कारण बच्चों में पनपती हीनभावना व क्षीण होती संज्ञानात्मक क्षमता के इस मूल कारण पर अपना ध्यान आकृष्ट नहीं कर सके।

अध्ययन कर्ताओं द्वारा प्राप्त शोध निष्कर्ष लैंसेट साइकिएट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ है। जिसके आलोक में शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि बचपनावस्था में बच्चों के साथ किये गये दुर्व्यवहार, विशेष रूप से उपेक्षा से जुड़ी सोच, तिरस्कार, तर्क और स्मृति से जुड़ी अनुभूति या बौद्धिक गतिविधि में कठिनाइयों, कठोर नियंत्रण आदि को पूर्व में किये गये अध्ययनों में न्यूनतम रूप में अवलोकित किया गया है। कुछ बच्चों के समूह पर किये अध्ययन में देखा गया कि उन बच्चों की बातों पर अधिक भरोसा करने से पैदा हुआ, जिन्होंने खुद के बारे में याद करते हुए दुर्व्यवहार की सूचना दी गयी, जबकि अभिलेखीय दुर्व्यवहार को कोई महत्व नहीं दिया गया। किंग्स कालेज लंदन के शोधकर्ताओं समेत शोध से जुड़े अन्य अध्ययन कर्ताओं ने स्पष्ट किया कि इससे स्मृति और वैयक्तिक मूल्यांकन के प्रभावों का जोखिम हो सकता है। अध्ययन कर्ताओं द्वारा किये गये अधिकांश अध्ययन परिणाम वयस्क प्रतिभागियों से बचपन में दुर्व्यवहार की संकलित पूर्व की सूचनाओ पर आधारित है। अनुसंधानके सह-शोध कर्ता व किंग्स कालेज लंदन में चाइल्ड एंड एडोलेसेंटर साइकिएट्री की प्रोफेसर आंद्रिया डैनेस ने स्पष्ट किया कि अध्ययन बच्चों के साथ बचपन में हुई दुर्व्यवहार की प्रमाणिक सूचना वाले बच्चों और जिन बच्चों ने अपने साथ घटित हो चुके दुर्व्यहार की सूचना स्मरण कर के दी। बच्चों के उक्त दोनों समूहों की तुलना ऐसे बच्चो के साथ की गई जिनके साथ बचपन में कभी दुर्व्यवहार नहीं हुआ था। अध्ययन कर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन बच्चों ने याद करके दुर्व्यहार की सूचना दी उनकी संज्ञानात्मक क्षमता पर असर नहीं पड़ा, लेकिन जिन बच्चों के साथ बचपन में दुर्व्यवहार का रिकार्ड दर्ज था उनकी संज्ञानात्मक क्षमता पर प्रभाव पाया गया। अध्ययन परिणाम से स्पष्ट है कि अध्ययन का उद्देश्य यह है कि बचपन में बच्चों की उपेक्षा, तिरस्कार, भेदभाव एवं बंचितीकरण के शिकार बच्चों की पहचान कर उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ साथ ऐसे बच्चों में रोजगार व जीवनयापन के महत्व पर प्रकाश डालना है। जिससे ऐसे बच्चों में बचपन में घटित दुर्व्यवहार से उपजी हीनभावना, एकाकीपन, चिन्ता, तनाव आदि मानसिक दबाओ से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन यापन व विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सके।