Chandauli News:चकिया में कजरी महोत्सव का सांस्कृतिक महाकुंभ, बरसात संग गूंजी लोकधुनें, परंपरा, सुर और उत्साह का अनुपम संगम 112 साल पुरानी परंपरा में झूमे लोग, सांसद छोटेलाल की कजरी-पिया मेंहदी लिया दा मो

सांसद साधना सिंह, विधायक रमेश जायसवाल और डीएम चंद्र मोहन गर्ग ने सराहा उत्सव, बारिश बनी संगीतमय शाम की जान

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया। नगर में भगवान श्रीकृष्ण की बरही और बाबा बनवारी दास व बाबा लतीफशाह मेले के उपलक्ष्य में उपजिलाधिकारी आवास परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे 112 वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत इस बार भी भव्य कजरी महोत्सव का आयोजन धूमधाम से हुआ। पूरे नगर में लोकधुनों की गूंज, रंगीन रोशनियों की चमक और उत्सव का उल्लास देखने लायक था।

हर साल की तरह इस बार भी इन्द्रदेव ने मानो श्रीकृष्ण की बरही पर खुश होकर बूंदाबांदी की, जिसने महोत्सव की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए। बारिश की रिमझिम में गूंजते कजरी गीत और दर्शकों की तालियों की गूंज ने पूरे माहौल को संगीतमय बना दिया।कार्यक्रम में स्थानीय और बाहरी क्षेत्रों से आए बबलू बाबरा, मंगल मधुकर, खुश्बू कुमारी, गरिमा यादव, हीना परवीन, श्याम नारायण, पप्पू वनवासी, अंकित दिवाना, रंजना राय और मंगला सिंह चौहान जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। पारंपरिक कजरी गीतों और आधुनिक धुनों का अद्भुत संगम दर्शकों के दिलों को छू गया।इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण रहा जब रॉबर्ट्सगंज के सपा सांसद छोटेलाल सिंह खरवार मंच पर आए और अपनी आवाज़ में पिया मेंहदी लिया दा मोतीझील जाके साइकिल से ना?गाकर पूरा माहौल झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी आवाज़ में गाई कजरी पर तालियों की गड़गड़ाहट और हूटिंग से पूरा परिसर गूंज उठा। दर्शकों ने उनके इस अविस्मरणीय अंदाज को लंबे समय तक याद रखने लायक बताया।

महोत्सव में मंच की शोभा बढ़ाने पहुंचे राज्यसभा सांसद साधना सिंह, विधायक रमेश जायसवाल, जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, तहसीलदार देवेंद्र कुमार यादव, नायब तहसीलदार आरिफ, पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट, सदर मुश्ताक अहमद खान, टोनी खरवार और समाजसेवी रतीश कुमार जैसे गणमान्य लोग भी आयोजन के साक्षी बने। राज्यसभा सांसद साधना सिंह ने कहा कि कजरी महोत्सव हमारी संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम है। कलाकारों की प्रतिभा और समर्पण ने इसे एक यादगार शाम में बदल दिया है।सपा सांसद छोटेलाल सिंह खरवार ने कहा कि चकिया की कजरी अब हमारी पहचान बन चुकी है। मंच से कजरी गाने का यह मेरा पहला अनुभव था, और दर्शकों का जो उत्साह मैंने देखा, वह दिल को छू गया।विधायक रमेश जायसवाल ने कहा कि कजरी महोत्सव सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि हमारी भावनाओं का उत्सव है। आने वाले समय में इस आयोजन को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास होगा।जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने कहा कि यह महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है, और प्रशासन इसे और व्यापक बनाने के लिए हमेशा सहयोग करता रहेगा।

बारिश के बावजूद दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मंच के सामने डटे रहे और कलाकारों की प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद उठाया। नगर में सजे मेले की रौनक, रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगाता बाजार और दुकानों पर लगी भीड़, इस आयोजन की लोकप्रियता का जीता-जागता प्रमाण रही।सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम और पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। पूरे आयोजन के दौरान अनुशासन और शांति का माहौल बना रहा।इस बार महोत्सव में युवा और उभरते कलाकारों को भी मंच पर प्रस्तुति का मौका दिया गया, जिससे नए प्रतिभाशाली कलाकारों को अपनी पहचान बनाने का सुनहरा अवसर मिला। वहीं, पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने कजरी गीतों पर थिरककर इस संगीतमय शाम की रौनक को और बढ़ा दिया।नगरवासियों का कहना है कि चकिया का कजरी महोत्सव केवल कला और संगीत का उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का संदेश भी देता है। इन्द्रदेव की हर साल होने वाली बरसात मानो इस अनूठी परंपरा की पवित्रता और भव्यता को और गहरा कर देती है।आयोजकों ने घोषणा की कि अगले वर्ष इस महोत्सव को और भी भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को बुलाकर इसे और ऐतिहासिक बनाया जाएगा।