जब इंसानियत ने मजहब की दीवारें तोड़ी: मुस्लिम समाजसेवी ने हिंदू बेटी की शादी कर पेश की मिसाल

बिजनौर/किरतपुर।

देश जब धार्मिक उन्माद और वैमनस्य की आंधियों से गुजर रहा है, ऐसे समय में किरतपुर से उठी एक सादगी भरी?but दिल छू लेने वाली मिसाल ने ये साबित कर दिया कि इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता, उसका नाम सिर्फ 'मोहब्बत' है। मोहल्ला काजियान निवासी समाजसेवी सफदर नवाज खां ने एक हिंदू बेटी की शादी न सिर्फ पूरे सम्मान और प्यार के साथ कराई, बल्कि एक बाप की तरह बेटी को विदा भी किया।

यह बेटी थी गौतम कुमार की, जो सफदर नवाज के लोहे के गोदाम में पिछले कई दशकों से काम कर रहे हैं। एक मजदूर की तरह नहीं, बल्कि एक परिवार के सदस्य की तरह। सफदर नवाज इस परिवार को अपना मानते हैं?इतना कि जो घर गौतम को रहने के लिए दिया, उसका कभी किराया नहीं लिया। बच्चों की पढ़ाई, दवा, कपड़े?हर मोड़ पर मदद की। और जब बात आई बेटी राखी की शादी की, तो सफदर नवाज ने बिना किसी औपचारिकता के कहा,
?राखी मेरी बेटी है, उसकी शादी की जिम्मेदारी मेरी है।?

और उन्होंने ये जिम्मेदारी निभा भी दी।
स्थानीय मंडावर रोड स्थित आवामी बैंक्वेट हॉल को सजाया गया। लखीमपुर खीरी से दूल्हा शिवम की बारात आई। पंडित सुभाष खन्ना ने वैदिक मंत्रों के साथ सात फेरे करवाए। माहौल देखकर लगता ही नहीं था कि यहां धर्मों का फर्क है?सिर्फ रिश्तों की गर्मी थी, मोहब्बत की रौशनी थी।

मुस्लिम मोहल्ले में गूंजते शंख और मंत्रों की ध्वनि ने जो सौहार्द रचा, वह अविस्मरणीय था।
इस शादी में जो दहेज दिया गया, उसमें किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी गई। दुल्हन राखी की आंखें खुशी से छलक पड़ीं। उसने कहा,
?हम उन्हें बड़े पापा कहते हैं, और आज उन्होंने जो दरियादिली दिखाई है, उसकी मिसाल दूर-दूर तक दी जाएगी।?

वहीं पिता गौतम कुमार की आंखों में भी आंसू थे, पर दर्द के नहीं, कृतज्ञता के।
?मेरे बड़े भाई सफदर नवाज ने जो किया, वो एक मिसाल है। उन्होंने मेरी बेटी की शादी नहीं कराई, हिंदू-मुस्लिम एकता की मूरत गढ़ दी।?

शादी में बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग शामिल हुए और दूल्हा-दुल्हन को शुभकामनाएं दीं। खुद सफदर नवाज खां ने कहा,
?राखी मेरी अपनी बेटी जैसी है। जब समाज में जहर घोला जा रहा हो, हमें मोहब्बत का गुलाब बनना चाहिए।?

यह शादी सिर्फ एक वैवाहिक कार्यक्रम नहीं थी, यह एकता, भाईचारे और इंसानियत का समारोह था?जिसे देखकर हर किसी ने बस यही कहा:
?काश हर मोहल्ले में एक सफदर नवाज होता।?<!--/data/user/0/com.samsung.android.app.notes/files/clipdata/clipdata_bodytext_250501_165224_702.sdocx-->