अवैध खनन के बोझ तले दम तोड़ते रास्ते और पर्यावरण – स्योहारा क्षेत्र में डंपरों का कहर

जनपद बिजनौर के स्योहारा थाना क्षेत्र के गांव कासमाबाद और पाईंदापुर के बीच स्थित रामगंगा पोषक नहर का पुल न सिर्फ ग्रामीण संपर्क का अहम साधन है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी एक संवेदनशील बिंदु है। पिछले कुछ हफ्तों से इस पुल पर भारी-भरकम ओवरलोडेड डंपरों की आवाजाही न केवल पुल को कमजोर करने का काम कर रही है बल्कि आसपास के पर्यावरण और ग्रामीण जीवन को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो पुल कभी भी गिर सकता है, जिससे पूरे गांव की आवाजाही रुक जाएगी।

पर्यावरणीय असंतुलन की ओर बढ़ता कदम
स्थानीय लोगों के अनुसार, अवैध रूप से मिट्टी से भरे डंपर पुल से होकर गुजर रहे हैं, जिससे न केवल पुल की नींव कमजोर हो रही है, बल्कि आसपास के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। मिट्टी खनन से जलग्रहण क्षेत्रों और कृषि भूमि की उर्वरता प्रभावित हो रही है, वहीं डंपरों से उड़ती धूल और सड़कें टूटने से जनजीवन संकट में आ गया है।

ग्रामीणों का विरोध, डंपर रोके- पुल पर धरना शुरू
सोमवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने पुल पर डंपरों को रोकते हुए धरना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और खनन माफियाओं की मिलीभगत से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान, जांच और कार्रवाई के निर्देश
इस मामले में जिलाधिकारी बिजनौर जसजीत कौर ने कहा है ?
"मैं इसमें जांच करवाती हूं और दोषियों के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
गौरतलब है कि अवैध खनन के मामलों पर पहले ही उन्होंने सख्त रुख अपनाया है और संबंधित अधिकारियों को कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

ग्रामीणों की मांग:
1. पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही तत्काल रोकी जाए
2. अवैध खनन पर कठोर कार्रवाई हो
3. डंपरों की निगरानी के लिए चेकपोस्ट या निगरानी दल बनाया जाए
4. क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत कराई जाए
5. पर्यावरणीय मूल्यांकन के आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों को खनन से मुक्त किया जाए
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