टूण्डला तहसील के उसायनी गांव की गौशाला में गायों की हालत बदतर

फ़िरोजाबाद।जनपद की टूण्डला तहसील के ग्राम उसायनी स्थित गौशाला में गायों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। जहां एक ओर गायों की पूजा-अर्चना की जाती है, वहीं दूसरी ओर इसी धरती पर गोवंश बदहाली का शिकार हो रहे हैं। अधिकारी अब तक इस ओर आँखें मूँदे बैठे हैं।

सूत्रों के अनुसार, बीते तीन दिनों से गौशाला में हरे चारे की आपूर्ति पूरी तरह ठप है। मजबूरी में गायों का पेट सूखे भूसे से भरा जा रहा है। गौशाला में न तो बिजली की व्यवस्था है और न ही रात के समय रोशनी का कोई इंतजाम, जिससे अंधेरे में जानवरों और कर्मचारियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

स्थिति इतनी भयावह है कि गौशाला परिसर में कुत्तों का आतंक बना हुआ है। मृत गायों के शवों को कुत्ते नोच-नोच कर खा रहे हैं। देर रात कुत्तों के झुंड वहां रहने वाले मजदूरों पर भी हमला कर रहे हैं।

गायों के पीने के पानी की व्यवस्था भी अत्यंत बदहाल है। पानी बाहरी ट्यूबवेल से आता है, वह भी कई बार तीन-चार दिन के लंबे अंतराल पर।

गौशाला के बीचों-बीच बने एक तालाब में कई बार गायें गिर कर घायल हो रही हैं, लेकिन इस पर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया। वहीं, देखरेख कर रहे मजदूरों को भी कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। मजदूरों ने वेतन न मिलने को लेकर प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

गौशाला में न इंटरलॉकिंग का काम हुआ है, न ही बिजली-पानी की समुचित व्यवस्था है। चारों ओर की बाउंड्री भी अधूरी पड़ी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या निर्माण कार्य में साँठगाँठ कर भुगतान कर दिया गया या कार्य अब भी अधूरा है?

हालांकि जिले में कई गौ सेवा से जुड़े संगठन मौजूद हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि कोई भी संगठन गौशाला तक पहुंचकर गोवंश की पीड़ा देखने के लिए तैयार नहीं दिख रहा।

कुछ दिन पहले ही एक जिला स्तरीय अधिकारी ने उच्चाधिकारियों से फोन पर संस्था द्वारा किए गए कार्यों में अनियमितता की शिकायत की थी, पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।

अब बड़ा सवाल है कि क्या इस घोर लापरवाही और गौमाता के प्रति अमानवीय व्यवहार पर दोषी गौशाला संचालकों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही होगी, या फिर हमेशा की तरह मामले को लीपापोती कर दबा दिया जाएगा ?

रिपोर्ट: बबलू फरमान, फिरोजाबाद