हल्का लेखपाल ने जीवित व्यक्ति को राजस्व अभिलेखों में दर्शाया मृत, जिंदा होने का प्रमाण देकर काट रहा अधिकाारियों के चक्कर

पीलीभीत। अगर आप कहीं भी किसी भी सरकारी काम के लिए जाते है तो इसके लिए कागज की जरूरत होती है। इन कागजों के बिना आपका कोई काम नहीं होता लेकिन अगर इन्हीं कागजों में आपको मृत घोषित कर दिया जाए तो आप जीते जी कोई भी काम नहीं कर सकते हैं। सरकारी कागज की अहमियत बताने वाली फिल्म 'कागज' की कहानी पीलीभीत के बीसलपुर के एक गांव मे सच साबित हुई है। बॉलीवुड मूवी कागज में अभिनेता पंकज त्रिपाठी द्वारा निभाए गए पात्र (भरतलाल) को लेखपाल द्वारा कागजों में मृत घोषित करने के बाद भरतलाल द्वारा अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए कोर्ट कचहरी में नाको चने- चबाने पड़ जाते हैं वही कहानी पीलीभीत के बीसलपुर में चरितार्थ हुई है।

जी हां! बीसलपुर के गांव बेनीपुर में राजस्व कर्मचारियों की ओर से कागजों में मृत किया गया। 70 वर्षीय बुजुर्ग तहसील और जिले के अफसरों को खुद के जिंदा होने का प्रमाण देता घूम रहा है। करीब दो वर्षों से अधिकाारियों के चक्कर काट रहे इस बुजुर्ग की अब तक फरियाद नहीं सुनी गई। कागजों पर मृत घोषित होने से बुजुर्ग की किसान सम्मान निधि भी बंद हो गई है।

बीसलपुर तहसील के गांव बेनीपुर निवासी महेंंद्र गंगवार ने बताया कि वर्ष 2022 में तत्कालीन हलका लेखपाल ने किसी के बहकावे में आकर बिना जांच-पड़ताल के ही उन्हें राजस्व अभिलेखों में मृत दर्शा दिया।
उनकी ढाई एकड़ जमीन उनके चारों पुत्रों के नाम दर्ज कर दी। पता चला तो महेंद्र गंगवार ने राजस्व और तहसील अधिकारियों के पास दौड़ लगानी शुरू कर दी। वृद्ध ने अधिकारियों को अपने जीवित होने के पर्याप्त प्रमाण दिए। राजस्व अभिलेखों में स्वयं को जीवित दर्शाने और अपने पुत्रों के नाम दर्ज की गई जमीन अपने नाम कराने की मांग की।
मगर राजस्व अभिलेखों में अब तक उन्हें जीवित नहीं किया गया। बुजुर्ग महेंद्र इस बात को लेकर काफी परेशान हैं कि राजस्व अधिकारियों को उसके जीवित होने के किस प्रकार के प्रमाण चाहिए। उन्होंने बताया कि वह अपनी इस समस्या को लेकर मौजूदा क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम और डीएम से कई बार मिल चुके हैं। अधिकारी मना तो नही कर रहे, लेकिन उनकी समस्या का समाधान भी नहीं कर रहे हैं। इससे संबंधित अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध हो गई है।राजस्व अभिलेखों में मृत दर्शा दिए जाने के कारण उसकी प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना भी बंद हो गई है। वृद्ध ने यह भी बताया कि वह दो वर्ष की अवधि में आयोजित होने वाले सभी थाना और संपूर्ण समाधान दिवसों में अपनी समस्या को उठा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

तहसीलदार कर्म सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आ चुका है। बहुत जल्द वृद्ध की समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।