लोकमाता अहिल्याबाई की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर व्याख्यान* 

भानुप्रतापपुर! भारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं बना था। यहां की महिलाओं ने इतिहास में वह स्थान अर्जित किया है जिससे देवता भी वंचित रहे हैं। लौह महिला महारानी अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व व कृतित्व उन्हें विश्व की श्रेष्ठतम महिलाओं की पंक्ति में अग्रणी बनाता है जिनका भारत के इतिहास और जनमानस पर विशेष प्रभाव रहा है।विश्व के सबसे बड़े महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति कर्तृत्व के आदर्श के रूप में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का अनुसरण करती है। बुधवार को भानुप्रतापपुर के जनपद पंचायत सभागार में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर व्याख्यान हुआ हुई।इस कार्यक्रम में नारायण नामदेव सहप्रांत प्रचारक रा.स्व.संघ शामिल हुए। इस दौरान उनकी महत्ता के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अहिल्याबाई होल्कर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।उन्होंने बताया हिन्दुओं के मंदिरों को बचाया अपने शासन काल में उन्होंने चार धाम, सातपुरी, 12 ज्योतिर्लिंग, 43 धर्म तीर्थ, 12772 मंदिर , बावडी कुए का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया। उन्होंने देशवासियों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। हम सभी को उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा बचपन के संस्कार ही बच्चों के भविष्य का निर्माण करते हैं। यही संस्कार जीवन की सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। किसे पता था चौंडी ग्राम जामखेड़ अहमदनगर में एक छोटी सी सौम्य, शांत, तेजवान बालिका मालवा के सूबेदार मल्हारराव को अपनी भक्ति व गायन से इस कदर प्रभावित कर देगी कि वह अपने पुत्र खंडेराव के विवाह के लिए मानकोजी के समक्ष प्रस्ताव रखने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।नारायण नामदेव ने कहा कि हमारे देश पर मुस्लिमों ने लंबे समय तक राज्य किया। मुस्लिमों ने हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ दिया। मुस्लिम शासकों ने किया लंबे समय तक राज्य मुहम्मद गौरी समेत अन्य मुस्लिम शासक इस देश में रहे। उस समय मात्र एक अहिल्याबाई होल्कर ही थीं जिन्होंने हिन्दुओं के सम्मान की रक्षा की। अहिल्याबाई होल्कर कोई सामान्य महिला नहीं थीं बल्कि वह लोक माता थी। लोकमाता से तात्पर्य जन-जन की माता। उन्होंने कहा कि इन्दौर की महारानी लोकमाता अहिल्याबाई ही थीं। उन्होंने सतीप्रथा एवं अमानवीय कृत्यों को नेस्तनाबूत किया। महिला सेना की टुकडी बनाकर युद्ध में अपराजेय पराक्रम हासिल किया।*