अधिक रुपये कमाने की लालच में गांजा तस्करी से जुड़ रहे बेरोजगार युवा,गर्त में होकर बर्बाद कर रहे भविष्य

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली। गांजा के आदी हो चुके लोगों को हर हाल में गांजा की चाहत होती है, लिहाजा वे अधिक कीमत देकर भी की उपलब्धता के लिए लालायित रहते हैं।इसी का फायदा गांजा तस्कर उठाते हैं। चोरी छिपे गांजा उपलब्ध कराकर गांजा पीने वालों से दोगुने दाम वसूलने के इस कारोबार ने युवाओं को आकर्षित किया है।युवा कम समय में अधिक रुपये कमाने की लालच में गांजा तस्करी की ओर उन्मुख हुए हैं और जोरदार कमाई भी कर रहे हैं।लेकिन वे यह भूल गये कि गलत और अवैध तरीके से की गयी कमाई का परिणाम गलत होता है। बीते कुछ वर्षों में दर्जनों युवा गांजा तस्करी के जुर्म में जेल भी जा चुके हैं और कुछ पर मुकदमा भी चल रहा है। हद तो तब हो जाती है जब गलत और गैर कानूनी धंधे में युवा के अभिभावकों की भी मौन स्वीकृति हो जाती है।

शुक्रवार को भी चकिया पुलिस ने जलेबियाँ मोड़ के पास से दस किलो से अधिक मात्रा में गांजा बरामद किया है। साथ ही दो तस्करों को भी गिरफ्तार किया, जिसमें दोनों तस्कर युवा हैं। दरअसल शराब के इस धंधे में रुपये की मोटी कमाई युवाओं को आकर्षित कर रहा है।यूपी बिहार सीमा से नजदीक होने के कारण सीमा पार से किसी न किसी तरह गांजा की तस्करी करके युवा अपने ठिकाने पर जमा कर लेते हैं और आर्डर के मुताबिक घर तक भी पहुंचा देते हैं। बदले में उन्हें मोटी कमाई हो जाती है। अब ऐसे युवाओं की कमाई देख अन्य युवा भी इस अवैध और खतरनाक कारोबार में कूद रहे हैं।क्षेत्र के बुद्धिजीवी युवाओं के इस रवैए से चिंतित हैं।

*गांजा की होम डिलिवरी तक कर देते हैं युवा तस्कर*

सूत्र की मानें तो गांजा तस्करी का यह फलता-फूलता कारोबार युवाओं को आकर्षक लग रहा है। कुछ ही समय में रहन-सहन बदलने से लेकर तस्कर की कमाई भी साफ दिखने लगती है। ये युवा तस्कर अधिक मूल्य मिलने पर गांजा की डिमांड करने वालों को होम डिलिवरी तक करवा देते हैं।आसानी से घर पर गांजा मिलने से शौकीन अत्यधिक मूल्य देने से भी गुरेज नहीं करते।फलस्वरूप युवा तस्कर की आर्थिक स्थिति कुछ ही समय में बदलने लगती है। हर तस्कर का अपना फिक्स कस्टमर है, जिसे वह फोन आते ही बतायी गयी जगह पर उपलब्ध करा देता है।पुलिस को भी यह पता हो गया है। पुलिस ने अपने गुप्तचर भी लगा रखे हैं, जिसकी सूचना पर समय-समय पर ऐसे तस्करों की गिरफ्तारी और गांजा की बरामदगी होती है। रुपये की लालच में गलत धंधे अपनाकर कई युवा अपना भविष्य खराब कर चुके हैं।

कार के अलावा अन्य कई नयी-नयी तरकीब लगाकर तस्कर गांजा को अपने गंतव्य तक लाते हैं। कई जगहों पर तो कुछ तस्कर गांजा तस्करी रोकने वाले जिम्मेदार को भी लालच में लेकर अपना काम निकाल लेते हैं. बड़े तस्कर खुद तस्करी वाले वाहन में नहीं होते है। अगर कहीं वाहन पकड़ा भी गया, तो मुख्य तस्कर बच निकलते हैं।कई बार बड़ी पूंजी लगाकर बिहार लाया जा रहा गांजा की खेप बरामद होती रही है।

*बड़े माफिया पर नहीं हो पाती कार्रवाई*

तस्करी में पुलिस की पकड़ में आने वाले अधिकांश वाहन चालक होते हैं या बिल्डर साइ?टों के आसपास छोटी-छोटी पुड़िया में सप्लाई करने वाले होते हैं। बड़े माफियाओं तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं। तस्करी में पकड़े गए लोगों ने खुलासा किया कि वह जिस गाड़ी में गांजा सप्लाई के लिए जाते हैं उसके चालक और उसके साथ होने वाले अन्य लोगों को उसकी जानकारी तक नहीं होती है। सिर्फ दिए एड्रेस के आधार पर सप्लाई होती है। ऐसे में पुलिस के पास माफियाओं की पहचान नहीं हो पाती और छोटे तस्करों को तक ही पहुंच पाती है।

एडिशनल एसपी अनिल कुमार यादव ने कहा कि समय-समय पर गांजा तस्करों पर बड़ी कार्रवाई होती है। इनके खिलाफ अभियान भी चलाया जा रहा है। नशीले पदार्थ बेचने वालों की किसी को जानकारी मिले तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।