चिकित्सक के विरुद्ध मामला मुख्य सतर्कता सचिव के पास 

ऊंचाहार,रायबरेली।आबादी की जमीन के साथ-साथ एनटीपीसी चिकित्सक दंपत्ति द्वारा अर्जित की गई बेनामी संपत्ति का मामला अब मुख्य सतर्कता आयोग के पास पहुंच रहा है।फर्जी तरीके से जमीन खरीदकर गांव की आबादी पर कब्जा करने से पीड़ित ग्रामीण अब सतर्कता आयोग जाने की बात कह रहे हैं।ज्ञात हो कि पीड़ितों द्वारा आरोप लगाया गया है कि एनटीपीसी में तैनात चिकित्सक डा० अशोक चौधरी और उनकी पत्नी डा० सरोज चौधरी द्वारा क्षेत्र के छीटू सिंह का पुरवा मजरे सवैया हसन के पास कथित रूप से फर्जी दस्तावेज के आधार पर जमीन खरीदा था।उसके बाद सैकड़ों साल की बसी हुई आबादी पर कब्जा किया जा रहा है।इस मामले में ग्रामीणों ने डीएम,मंडलायुक्त, मुख्यमंत्री तक से शिकायत की थी।जिसकी जांच अभी लंबित है।ग्रामीणों का आरोप है कि तहसील प्रशासन भूमाफिया चिकित्सक से मिला हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि चिकित्सक ने ऊंचाहार में बड़े पैमाने पर बेस कीमती जमीन फर्जी तरीके से अर्जित की है।बताते हैं कि चिकित्सक ने रायबरेली , प्रतापगढ़ के कुंडा तहसील,प्रयागराज,कानपुर आदि में भी जमीन अर्जित की है।इसलिए यह मामला केंद्रीय सतर्कता आयोग के सचिव के पास भेजा जा रहा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग से शिकायत के बाद एनटीपीसी में हड़कंप मचा हुआ है।वहीं एनटीपीसी चिकित्सक डॉ०अशोक चौधरी ने फोन करके बताया कि हमारे द्वारा सिर्फ स्वयं की बैनामा कराई गई जमीन पर ही निर्माण किया जा रहा है।ग्रामीणों या आबादी की जमीन का थोड़ा सा हिस्सा भी मुझे नहीं चाहिए। दो दिन पूर्व एसडीएम ऊंचाहार सिद्धार्थ चौधरी ने भी फ़ोन पर बताया था कि चिकित्सक द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे का मामला ग्रामीणों द्वारा हमारे पास लगाया गया था।जिसमें पैमाईश के बाद ही निर्माण करने को कहा गया है।यहां उल्लेखनीय यह है कि आखिरकार ऊंचाहार प्रशासन ग्रामीणों के आरोपों को गंभीरता से क्यों नहीं लेता है।जबकि ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि ऊंचाहार प्रशासन और चिकित्सक की इसमें मिलीभगत है।फिलहाल ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को भी उक्त मामले से संबंधित पत्र भेज रखा है,जिसकी जांच लंबित है।