ब्लॉक मिश्रित की ग्राम पंचायत कोल्हुवा में सामने आया खेल मैदान निर्माण घोटाले का जिन्न।      

सीतापुर-अगस्त/ विकास क्षेत्र मिश्रित की ग्राम पंचायत कोल्हुवा में भ्रष्टाचार की परत दर परत खुलती जा रही है, समांचार पत्रों के साथ ही सोशल मीडिया ग्रुपों की सुर्खियों में छाई इस ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में हेर-फेर और भ्रष्टाचार के हो रहे खुलासों दर खुलासों की जांच कराकर कार्यवाही करने के बजाय ब्लाक प्रशासन मांमले को पूरी तरह दबाने में जुटा हुआ है।दूसरी तरफ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी विकास योजनाओं से महरूम ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति आक्रोश के भाव पनप रहे है।आपको बता दें कि इस ग्राम पंचायत में नाली ,सड़क, खड़ंजा ,पेयजल ब्यवस्थ,तथा शौचालयों के निर्माण की तो बात ही बहुत दूर साथ ही आवासीय घोटाले का जिन्न अभी शान्त भी नहीं हो पाया था कि वही खेल मैदान घोटाले का जिन्न भी सामने आ गया है, बताते चलें कि शासन की मंशानुरूप ग्राम पंचायत में बनवाया गया खेल मैदान पूरी तरह से अनुपयुक्त जगह पर स्थित है जिसको ग्राम प्रधान ने ग्राम सभा के अन्य मजरों की उपेक्षा करके अपने निवास वाले मजरा पिपरोसा के बाहर बनवा दिया है जो अभी भी मौके पर अपूर्ण ही है और जानकार सूत्रों के अनुसार कागजों पर निर्माण पूरा हो चुका है सूत्रों की माने तो 9 लाख 95 हजार 743 रुपए की सरकारी लागत से गांव सभा में खेल मैदान का निर्माण कराया जाना स्वीकृत हुआ था जिसको ग्राम प्रधान ने अपने निवास गांव मजरा पिपरोसा के उत्तर-पूर्व निर्मित कराने की खाना पूर्ती की है और 7 लाख 61 हजार 619. 58 रुपए का ब्यय कर दिया है। लेकिन इस खेल मैदान की हालत देखकर ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि इसके अधूरे निर्माण कार्य पर ढाई तीन लाख रुपया भी ब्यय हुआ होगा। इस खेल मैदान में गेट तो बनवाया गया है लेकिन मैदान को घेरने के लिये बाउण्ड्री वॉल की बजाय सीमेण्टेड खम्भो से चारों ओर कटीले तार लगवाये गये हैं। खिलाड़ी बच्चों के बैठने के लिए कोठरी नुमा एक बैठक कक्ष भी निर्मित तो कराया गया है लेकिन उसमें प्लास्टर आदि पूरी तरह से नदारत है। गौरतलब बात तो यह भी है कि इस खेल मैदान के निर्माण का प्रकरण बोर्ड भी मैदान में नहीं लगाया गया है जिससे ग्रामीणों को यह पता चल सके कि किस मद में कितनी धनराशि से इसका निर्माण कार्य हुआ है कार्य प्रारम्भ की तिथि और कार्य समापन की तिथि क्या है। इतना ही नहीं इस खेल मैदान में खड़ी झाड़ झंखाड और मौसमी सब्जियों की होने वाली खेती ने इसे खेल मैदान होने पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रखा हैं। गौरतलब बात तो यह भी है कि ब्लाक में तैनात ए पी ओ मनरेगा और सम्बन्धित टी ए ने इस आधे अधूरे खेल मैदान के निर्माण को कैसे प्रदान कर दी स्वीकृति-? यह भी बताते चलें कि मिश्रित ब्लॉक की कोल्हुवा ग्राम पंचायत में क्रमशः कोल्हुवा,राजनगर और पिपरोसा नामक मजरे आते हैं जिनमें से पिपरोसा गांव के ही ग्राम प्रधान निवासी हैं और उन्होंन अपने गांव के बाहर यह खेल मैदान बनवाया है जिसका निर्माण कार्य अभी भी आधा अधूरा ही है। विचारणीय बात तो यह है कि गांव सभा के अन्य मजरो निवास करने वाले खिलाड़ी बच्चे दूरी होने के कारण इस खेल मैदान तक कैसे पहुंच कर उठा पायेगे इसका लाभ और इस ग्राम पंचायत से जनपद, प्रदेश और प्देश के लिये बाहर कैसे निकलेंगे नवोदित खिलाड़ी तथा उनका खेलों के प्रति देश और प्रदेश में क्या होगा योगदान। कहना ग़लत न होगा कि इस खेल मैदान निर्माण में जिम्मेदारों द्वारा जमकर गड़बड़ घोटाला करके डकारी गई सरकारी रकम ग्रामीण जनता में जहां चर्चा का विषय बनी हुई है वहीं ग्राम पंचायत के विकास लिये विभिन्न योजनाओं में अवमुक्त शासकीय धनराशि से सम्पन्न हुये कार्यों के जिम्मे दारो के साथ ही ग्राम प्रधान द्वारा गड़बड़ घोटाला करके अर्जित की गई आय से अधिक सम्पत्ति की जांच अगर जिला प्रशासन व प्रदेश शासन गम्भीरता और निष्पक्षता के साथ करा लें तो सारी कलई खुद-ब-खुद खुलकर सामने आ जायेगी और भ्रष्टाचारियों के चेहरे हो जाएंगे बेनकाब।