बीजेपी और मेनका गांधी की बढ़ी मुश्किलें

सुलतानपुर। जनपद में गर्मी बढ़ने के साथी-ही-साथ आगामी लोकसभा चुनाव की गर्मी भी तेजी से बढ़ रही है जिसमें अभी तक कमल का फूल झूलसता हुआ नजर आ रहा है, आज एनडीए गठबंधन और बीजेपी की प्रत्याशी मेनका गांधी ने अपना नामांकन भले ही कर दिया हो लेकिन इस बार जातीय समीकरण बीजेपी और मेनका गांधी के पक्ष में नही दिख रहा है।
जिस तरह से आज बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी के नामांकन में बीजेपी के किसी बड़े नेता के शामिल होने के बजाय बीजेपी गठबंधन के सहयोगी अपना दल के प्रभारी मंत्री आशीष पटेल और निषाद समाज के मंत्री डॉ. संजय निषाद, निषाद व कुर्मी समाज वोटरों को अपने पक्ष में लाने के उद्देश्य के साथ शामिल हुए जिसमें अभी तक बीजेपी संगठन पूरी तरह से असफल दिख रहा है।
विदित हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी और बीजेपी मात्र 14 हजार के अंतर से जीत दर्ज की थी, जिसमें निषाद और कुर्मी समाज का एकतरफा वोट बीजेपी और मेनका गांधी को मिला था लेकिन इस लोकसभा चुनाव में पूरा चुनावी समीकरण बीजेपी के खिलाफ और इंडिया गठबंधन और समाजवादी पार्टी के पक्ष में दिख रहा है क्योंकि समाजवादी पार्टी ने अपने बहुचर्चित पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले के तहत निषाद समाज में मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को मैदान में उतारा है जिससे समाजवादी पार्टी के पक्ष में समाजवादी पार्टी के आधार वोट बैंक मुस्लिम और यादव के साथ-साथ लगभग पूरा निषाद वोटर समाजवादी पार्टी के पक्ष में लामबंद हो गया है।
मेनका के नामांकन में अपना दल के प्रभारी मंत्री आशीष पटेल के शामिल होने से प्रतीत होता है कि सुलतानपुर के कुर्मी वोटरों को साधने के लिए उन्हें बुलाया गया लेकिन बीजेपी यह चाल भी बीजेपी और मेनका के किसी काम आती हुई नहीं दिख रही है क्योंकि बसपा ने कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले सुलतानपुर के लोकल और युवा उदराज वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है जिससे कुर्मी समाज का वोट एकतरफा बीएसपी की तरफ लामबंद हो गया है।
ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में एक तरह से बीजेपी के बेस वोटर निषाद और कुर्मी वोटर के कट जाने से बीजेपी के जीत की राह कठिन दिख रही है। क्योंकि बीजेपी को सीधे तौर पर करीबन 2 लाख वोटों का नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई कर पाना बीजेपी और मेनका गांधी के लिए लगभग नामुमकिन दिख रहा है।