तस्करी की राह में कभी आम जनता की होती है मौत तो कभी तस्करों को देनी पड़ती है जान

चकिया/इलिया- मिर्जापुर जनपद से चंदौली जिले में प्रवेश कर चकिया के रास्ते बिहार के लिए हो रही बड़े पैमाने पर पशु तस्करी को लेकर इन दोनों सर्किल क्षेत्र में जोरो पर चर्चाएं हो रही हैं। पिछले दिनों चकिया इलिया मार्ग से होकर बिहार में तस्करी के लिए जा रही कुछ वाहनों का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग स्थानीय पुलिस की कार्यशालियों पर लगातार सवाल खड़े करते नजर आ रहे हैं। इसके बाद प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रमुखता से धड़ल्ले से हो रही पशु तस्करी को लेकर खबर प्रकाशित किया। इसके बाद चंदौली पुलिस ने माल्दह पुल के रास्ते हो रही अवैध पशु तस्करी को लेकर विज्ञप्ति जारी करते हुए सफाई दी।

क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि जिस तरीके से चकिया सर्किल क्षेत्र में आने वाले चकिया-इलिया मार्ग और विभिन्न जंगलों के रास्ते हो रही खुलेआम पशु तस्करी पर वर्तमान में पुलिस शिकंजा नहीं कस पा रही है। लोगों ने बताया कि पुलिस के शिकंजा ना कसने का ही नतीजा है कि लोगों को पशु तस्करी की राह में अपनी जान तक गवानी पड़ती है। जिसमें प्रमुख रूप से जनपद की सबसे बड़ी घटना चकिया सर्किल क्षेत्र के इलिया थाना क्षेत्र के माल्दह गांव की ही मानी जाती है। जहां 2019 में 1 जनवरी की सुबह ही पुलिस द्वारा पशु तस्करों के वहां का पीछा करने के दौरान पशु तस्करों की गाड़ी अनियंत्रित होने से पीसीएस ने झोपड़ी में टक्कर मार दी थी जिसके बाद सात लोगों की जान में मौके पर चली गई थी। इसके बाद वहीं दूसरी घटना चंदौली जनपद के चकिया कोतवाली क्षेत्र के मंगरौर और गांव के पास स्थित कर्मनाशा नदी पुल की है। जहां 7 अप्रैल 2021 को पुलिस द्वारा पीछा करने के दौरान पुलिस से गिरता देखकर तीन पशु तस्करों ने पुलिस से बचने के लिए अपनी मौत को चुना और फूलों से सीधे नदी में चलांग लगा दी जिससे उनकी मौत हो गई थी।

लोगों ने बताया कि इससे समझाया जा सकता है कि आखिरकार तस्करी की राह में लोगों को अपनी जान तक जवानी पड़ती है और इसे रोकने के लिए स्थानीय पुलिस द्वारा बहुत कम ही अभियान चलाया जाता है। ऐसे में चंदौली जनपद के नवागत पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के लिए पशु तस्करी को रोकना एक बड़ी चुनौती है कि किस तरीके से उनकी टीम इस पर खरी उतरकर इसे रोक पाती है।