चंदौली- जिस लोकसभा में दो-दो राज्यसभा सांसद,दो-दो विधायक और एक मंत्री,उसी जगह हार गए डॉ महेन्द्र नाथ पाण्डेय,जानिए वजह 

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली- सत्ता की मलाई काटते काटते और चीजों में जंग लग जाती है। तरमाल खाने के लोग आदी हो जाते है। जो संघर्ष चुनाव में प्रचार के दौरान सड़क पर उतरकर गलियों में उ जाकर घरों घरों में पहुंचकर होना चाहिए था। वह भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने संभवतः इस चुनाव में नहीं किया। जो भी कार्य किया। वह निश्चित रूप से आधे अधूरे मन से किया। जिसका परिणाम रहा की पिछले 10 वर्षों से केंद्र में भाजपा की सरकार में मंत्री रहे डॉ महेंद्र नाथ पांडे को हार का सामना करना पड़ा।उत्तर प्रदेश में भी पिछले सात वर्षों से भाजपा की सरकार है। डबल इंजन की सरकार का दावा करके काफी कुछ करने का दावा किया जाता है।जिले में इस दौरान में आए अधिकांश भ्रष्ट अधिकारियों ने जमीन, मकान से लेकर आलीशान लग्जरी जीवन को जीने का काम किया। वहीं राजनेता भी इन सबको देखकर शायद प्रेरणा पाते हुए स्व संपत्ति को दुगना चौगुना करने पर ज्यादा ध्यान दिए। आम जनता से निरंतर दूरी होती गई। जिसका परिणाम सत्ता में रहते हुए भी सत्ता से दूर रहने का दंश यहां के जनप्रतिनिधि को झेलना पड़ा। भाजपा के विभिन्न कार्यक्रमों में अग्रिम पंक्ति में बैठने वाले इक्का दुक्का को छोड़ दिया जाए। तब सभी जनाधार विहीन नेता है। जिनका क्षेत्र में प्रभाव के नाम पर नाम मात्र ही असर है। अधिकांश लोग मीडिया मै बने रहना बखूबी जानते है। जनता के बीच जाकर विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी देने से अधिकांश ने दूरी ही बनाया है। यहां तक की क्षेत्र के बहुत से लोगों को अभी तक यह नहीं मालूम है कि विभिन्न पंप कैनालों की क्षमता वृद्धि ही केवल नहीं हुई बल्कि नई मोटर भी लग गई।

चुनाव के पूर्व भी ही यह सब जानकारी किसानों तक बाकायदा अभियान चला कर देना चाहिए था। लेकिन कुछ संगठन द्वारा विभिन्न तरह के दान दक्षिणा वाले कार्यक्रम तो आयोजित होते रहते है। सत्ता का सुख पूरी तरह से पार्टी और पार्टी से जुड़े विभिन्न संगठन के लोग लेते रहते है। लेकिन जो पहले जमीन में स्तर पर कार्य हुआ करता था। अब उसमें ठहराव आ गया है। पहले जहां वोटरों की पर्ची पार्टी के लोग घर-घर पहुंचा दिया करते थे। वहीं इस बार के चुनाव व में बुध थ पर जो झोला जाता है।जिसमें अच्छी खासी धनराशि उनको गटकने के लिए दी जाती है। उस पर ध्यान ज्यादा था। इस बूथ पर किस मतदाता का नाम सूची में कहां है।यह बताने वाले भी नदारत थे। चुनाव के दिन भाजपा के तमाम बूथों पर केवल रस्म अदायगी की जा रही थी। शाम के समय जब वोट समाप्त होने को आया तब जरूर वहां पहुंचकर समीक्षा अपने आप में लोग कर रहे थे। जिन कर्म से कभी कांग्रेस पार्टी रसातल की तरफ चली गई थी। वहां नेता ज्यादा कार्यकती कम थे। वही स्थिति धीरे-धीरे अब भारतीय जनता पार्टी की होती जा रही है। बता दें कि अगर इसमें सुधार नहीं हुआ तब स्थिति और ज्यादा गड़बड़ हो जाएगी।

*दो विधायक एक मंत्री और दो राज्यसभा सांसद के बावजूद चुनाव हार गए महेन्द्र नाथ पाण्डेय*
आपको बताते चलें कि चंदौली जनपद में लोकसभा चुनाव के परिणाम में लोगों को चौंका दिया। मोदी के करीबी मंत्री रहे और चंदौली से दो बार के सांसद डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के सिर पर तीसरी बार जीत का सेहरा नहीं बध सका।और सपा से प्रत्याशी वीरेन्द्र सिंह ने 22000 से अधिक वोटों के अंतरों से जीत हासिल की। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जिस जनपद में लोकसभा के अंतर्गत आने वाले भाजपा के दो दो विधायक सुशील सिंह और रमेश जायसवाल और एक मंत्री अनिल राजभर के साथ ही साथ चंदौली जनपद के ही निवासी अभी हाल ही में कुछ मीना के अंतराल में ही राज्यसभा भेजी गई दो-दो राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह और साधना सिंह जैसी पार्टी की कद्दावर नेता हों। वहां भाजपा को समाजवादी पार्टी से शिकस्त मिलना यह सवाल खड़ा करती है। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाए कि या तो जिले के दिग्गजों ने भाजपा प्रत्याशी डॉ महेन्द्र नाथ पाण्डेय को जीत दिलाने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत नहीं किया या तो भाजपा प्रत्याशी के साथ भीतरघात हुआ।

*कहीं सांसद के खासमखास ही तो नहीं बन उनके हार का कारण*
आपको बताते चलें कि चंदौली लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने जिस तरीके से तीसरी बार चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, ऐसे में उनका अंदाजा था कि वह तीसरी बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचेंगे लेकिन ऐसा कदापि नहीं हुआ, और उन्हें सपा के वीरेंद्र सिंह से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में लोगों का यह अभी मानना है की कहानी भाजपा सांसद के खासम खास लोगों की वजह से ही तो उन्हें हर का मुंह नहीं देखना पड़ा, भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय को खासमखास की बात मानकर वर्ग विशेष के यहां पहुंचने को लेकर शायद लोगों में कुछ नाराजगी दिखी और उसी नाराजगी का नतीजा इन्हें झेलना पड़ा।