नदी पार कर शिक्षक मुंगेली जिले के रंजकी के स्कूल में पढ़ाने जाते हैं क्योंकि स्कूल जीपीएम जिले से संचालित है।,रात में स्कूल में ही रुकते हैं शिक्षक, क्योंकि 9 किलोमीटर नदी नाला और जंगल का दुर्

नदी पार कर शिक्षक मुंगेली जिले के रंजकी के स्कूल में पढ़ाने जाते हैं क्योंकि स्कूल जीपीएम जिले से संचालित है।।

अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित ग्राम रंजकी के किसान के 2 मवेशियों का बाघ ने 3 दिन पहले किया है शिकार ।।

रात में स्कूल में ही रुकते हैं शिक्षक, क्योंकि 9 किलोमीटर नदी नाला और जंगल का दुर्गम रास्ता है

पेण्ड्रा। छत्तीसगढ़ - मध्य प्रदेश की सीमा में अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया के अंदर स्थित मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के ग्राम रंजकी के बच्चों को पढ़ाने जीपीएम जिले के दो शिक्षक जाते हैं, क्योंकि स्कूल जीपीएम जिले से संचालित है। बरसात में ग्रामीण के घर बाइक रखकर उन्हें नदी पार कर कई कई दिनों तक रात में उन्हें स्कूल में ही रुकना पड़ता है। क्योंकि शिक्षकों को घर से स्कूल तक 70 से 80 किलोमीटर का सफर तय करने के अलावा इसमें 18 किलोमीटर तक नदी नाला और घनघोर जंगल वाला दुर्गम रास्ता है, ​जिसमें बाघ (टाइगर) समेत अन्य जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। बता दें कि 3 दिन पहले ही रंजकी के किसान छोटे जरहू बैगा के 2 मवेशियों का बाघ ने शिकार किया है। शिकार किए गए स्थल पर बाघ के पंजे के निशान मौजूद हैं। यह दोनों शिक्षक रोजाना सिर्फ इसलिए जूझते हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

प्रभारी प्रधान पाठक पीयूष कुमार विश्वक​र्मा और सहायक शिक्षक रामसाय बैगा मुंगेली जिले लोरमी ब्लॉक के ग्राम पंचायत लमनी के आश्रित ग्राम रंजकी के बच्चों को पढ़ाते हैं। पीयूष विश्वकर्मा गौरेला के रहने वाले हैं और उनके घर से स्कूल की दूरी 35 किलोमीटर है। वहीं रामसाय बैगा का घर स्कूल से 40 किलोमीटर दूर ग्राम छुईलापानी में है। दोनों शिक्षकों की पोस्टिंग इस स्कूल में 9 साल पहले 2014 में की गई थी। गौरतलब है कि यह ग्राम रंजकी अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंदर छत्तीसगढ़ की सीमा में स्थित है, जिसके बाद मध्यप्रदेश का डिंडोरी लग है।

3 दिन पहले ही 2 मवेशियों का बाघ ने किया शिकार, लकड़बग्घा और भालू से हो चुका सामना, जिम्मेदारी देता है हौसला - पीयूष ।।

शिक्षक पीयूष विश्वकर्मा ने बताया कि घर से ज्यादा दूरी होने के कारण ज्यादातर स्कूल में ही रुकना पड़ता है। यहां बाघ समेत अन्य जंगली जानवरों का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि 3 दिन पहले ही ग्राम रंजकी के किसान छोटे जरहु बैगा के दईहान के 2 मवेशियों का बाघ ने शिकार किया है। हालांकि जिस जगह शिकार किया गया है वह स्कूल से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। स्कूल के आसपास कई बार लकड़बग्घा, भालू और अन्य जंगली जानवर देखकर डरे भी हैं, क्योंकि स्कूल में बाउंड्रीवाल नहीं है। कई जंगली जानवरों की आवाज सुनकर नींद तक गायब हो चुकी है। इस इलाके में बाघ की आमद भी कई बार हुई। स्कूल से कुछ दूरी पर जंगल में मध्यप्रदेश की सीमा में बाघ के अवैध शिकार का मामला भी सामने आया था। जान को खतरे का डर है, लेकिन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी के कारण इस डर से जीत दिखती है।

रंजकी प्रायमरी स्कूल गौरेला ब्लॉक से संचालित लेकिन मुंगेली जिले के लोरमी विस का पोलिंग बूथ भी है

जीपीएम जिले के गौरेला ब्लाॅक से संचालित कनिष्ठ प्राथमिक शाला रंजकी भौगोलिक रूप से मुंगेली जिले के लोरमी ब्लाॅक में है। यह स्कूल लोरमी विधानसभा का मतदान केंद्र क्रमांक 10 है। यहां पढ़ने वाले सभी बच्चे लोरमी ब्लाॅक के ग्राम पंचायत लमनी के आश्रित ग्राम रंजकी के हैं। स्कूल की स्थापना वर्ष 1991 में की गई थी, जो अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है।

स्कूल के सभी 40 विद्यार्थी लोरमी ब्लॉक के, जीपीएम का कोई नहीं।।

घने जंगलों के बीच ग्राम आमाडोब से 9 किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक शाला रंजकी में सत्र 2023-24 में बच्चों की दर्ज संख्या 40 है। इनमें 19 बालक और 21 बालिकाएं हैं। सभी 40 छात्र-छात्राएं लोरमी ब्लॉक के ग्राम पंचायत लमनी के रहने वाले हैं। इनमें से एक भी विद्यार्थी जीपीएम जिले का नहीं है, जबकि यह स्कूल जीपीएम जिले से संचालित है, लेकिन यहां मुंगेली जिले के बच्चे पढ़ते हैं। इन दोनों शिक्षकों की लगन और मेहनत के कारण इनकी पोस्टिंग के बाद स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 25 से बढ़कर 40 हो गई है।

ग्राम रंजकी में 95 फीसदी आबादी बैगा जनजाति की।।

रंजकी गांव लोरमी ब्लाक में आता है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार 106 परिवार हैं। यहां 95 प्रतिशत आबादी विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा परिवार के अलावा उरांव और अहीर समाज के लोग भी रहते हैं। स्कूल में एक भी हैंडपंप नहीं है। एक कुआं है, जिसका पानी पीने और निस्तार दोनों के काम आता है।

जिले के विवाद में हस्ताक्षर नहीं करते सरपंच, फिर भी मिल रही छात्रवृत्ति।।

रंजकी स्कूल को सरकारी रिकार्ड में गौरेला ब्लाॅक के अंतर्गत ग्राम पंचायत आमाडोब में माना जाता है, जबकि स्कूल लोरमी ब्लाॅक के ग्राम पंचायत लमनी में है। यहां के विद्या​र्थियों के छात्रवृत्ति फाॅर्म में जब सरपंच के हस्ताक्षर कराने की बात आती है तो ग्राम पंचायत आमाडोब के सरपंच यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि बच्चे लमनी पंचायत के हैं और लमनी सरपंच यह कह हस्ताक्षर नहीं करते कि स्कूल का संचालन गौरेला ब्लाॅक से होता है। इस कारण बच्चों के छात्रवृत्ति फाॅर्म में सरपंच हस्ताक्षर नहीं करते। इसके बावजूद शिक्षक और अफसरों की संवेदनशीलता के कारण अब तक छात्रवृत्ति में बच्चों को दिक्कत नहीं हुई।

रंजकी के बच्चों को सभी शासकीय योजना का लाभ गौरेला ब्लाॅक से मिलता है - बीईओ डॉ. संजीव शुक्ला

गौरेला के बीईओ डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि रंजकी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के छात्रवृत्ति फाॅर्म गौरेला ब्लाॅक से पूर्ण कराए जाते हैं और उन्हें छात्रवृत्ति भी मिलती है। इसके अलावा निशुल्क ड्रेस, पुस्तक, काॅपी, मध्याह्न भोजन आदि सहित सभी सरकारी योजना का लाभ जीपीएम जिले से दिया जाता है। वहां गौरेला ब्लाॅक के शिक्षक पदस्थ हैं और स्कूल भवन निर्माण व मरम्मत संधारण कार्य भी गौरेला से ही हुआ है। बीईओ ने आगे कहा कि चूंकि स्कूल गौरेला ब्लाॅक में दर्ज है, इसलिए वहां पढ़ने वाले बच्चों की सभी सुविधाओं का ख्याल गौरेला से ही रखा जाता है।