चंदौली- जब योगी सरकार की पुलिस बनी मददगार तो अपने सपनों को पाकर शिबू खान के आंखों से छलके आंसू,पढ़िए मंजिल पाने तक की कहानी

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चंदौली/पीडीडीयू नगर- मिलेगी परिंदों को एक रोज मंजिल, यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं... जो लोग रहते खामोश अक्सर जमाने में उनके हुनर बोलते हैं... कुछ इसी तरह की कहानी है चन्दौली की रहने वाली शिबू खान की, जिन्होंने समाज के विरोध के बाद भी गुरबत से लड़कर अपने सपनों को जीता है. खास बात यह कि इस बेटी के साथ समाज और परिवार भले ही न खड़ा हुआ हो, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की पुलिस इसकी मदद के लिए जरूर आगे आई है।यह कहानी है मुगलसराय की रहने वाली शिबू खान की। शिबू खान एक नेशनल लेवल की खिलाड़ी है और अब योगा टीचर बनना चाहती है. लेकिन, उसका अपना ही समाज और गरीबी उसकी राह का रोड़ा बन गई. लेकिन, कहते हैं न कि हिम्मत आप करिये और मदद खुदा देगा. कुछ अचानक ऐसा ही हुआ और इस बेटी की आखों में खुशी के आंसू छलक आए।

दरअसल, पीडीडीयू नगर यानी मुगलसराय की नई बस्ती की रहने वाली ​शिबू खान कोरोना काल के दौरान अपने पिता को खो चुकी है. वह अपने पिता के सपनों को पूरा करना चाहती है. पेकिन, चयन के बाद पैसे के न होने के चलते हिम्मत हार चुकी थी. लेकिन बेटी की फीस भर कर उत्तर प्रदेश पुलिस ने सराहनीय काम किया है।

बता दें कि शिबू खान का चयन लक्ष्मी बाई नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ​ फिजिकल एजुकेशन ग्वालियर में एमए योग कोर्स में तो हुआ, लेकिन उसके पास फीस देने के लिए रुपये तक नहीं थे. परेशान ​शिबू मदद के लिए ​सीओ पीडीडीयू नगर अनिरूद्ध सिंह के पास पहुंची, जहां सीओ ने बड़े भाई के रूप में उसकी फीस जमा करने का बीड़ा उठाया.

सीओ ने बबुरी,मुगलसराय और अलीनगर थानाध्यक्षों व अन्य पुलिसकर्मियों मदद उसे बृहस्पतिवार को 65 हजार रुपये की आ​र्थिक सहायता की और उसे ग्वालियर के लिए रवाना किया. पुलिस के इस कृत्य से समाज में उनकी काफी प्रशंसा हो रही है. सीओ अनिरूद्ध सिंह ने बताया कि ​सहयोगियों की मदद से ​शिबू की एक सेमेस्टर व हास्टल की पूरे वर्ष की फीस इकट्ठा कर उसे दी गयी है. जरूरत पड़ने पर आगे भी ​शिबू की मदद की जाएगी.

पीडीडीयू नगर के नई बस्ती की रहने वाली शिबू बानो खान ने बताया कि उसके पिता को 2015 में लकवा मार दिया था, जिसके बाद से उसके घर की माली हालत काफी बिगड़ती चली गई. मई 2021 में पिता कुतुबुद्दीन खान का इंतकाल हो गया. शिबू ने बताया कि उसके दो भाई व छह बहन है. उनके पिता शुरू से ही सभी बच्चों को पढ़ाना चाहते थे. उन्होंने लड़के और लड़की में कभी फर्क नहीं किया. वर्ष 2019 में उसने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. इसके बाद उसने वर्ष 2023 में बीएचयू से बीए की पढ़ाई पूरी की.

शिबू को हमेशा से ही खेलने का शौक था. 2022 में किक बॉकिंसग में नेशनलप्रतियोगिता में ब्रॉंज मेडल जीता. इसके पहले वर्ष 2019 में स्टेटताइक्वानडों चै​म्पिय​शिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी थी. कड़ी मेहनत के बाद उसका चयन एम योगा कोर्स में लक्ष्मी बाई नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ​ फिजिकल एजुकेशन ग्वालियर में हुआ. पूरे देश से सिर्फ 12 लोगों का ही चयन हुआ है. ​

शिबू बानो ने बताया कि वह आगे चलकर योगा टीचर बनना चाहती है. योग एक ऐसी क्रिया है जिससे हर कोई अपने आप को स्वस्थ रख सकता है. योग को धर्म से जोड़ने वालों को संदेश देते हुए शिबू ने कहा कि यह एक स्किल है जिससे आप निरोगी रह सकते हैं. इसे कतई धर्म से जोड़ना ठीक नहीं है.

अपनी मां और बहन के साथ सीओ आफिस पहुची शिबू का सम्मान देख परिवार वाले भी भाव विभोर दिखे. मां महरून निशां ने बताया कि पिता के जाने के बाद संकट आया तो किसी तरह परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के साथ खड़े रहे. एक समय का खाना मिला, लेकिन शिक्षा से समझौता नहीं किया. अब जब उनकी बेटी ने उपलब्धि हासिल की है तो इस बात की उम्मीद जरूर जगी है कि जिस तरह लोगों ने उनकी बेटी मदद की उनकी बेटी भी समाज के लिए बेहतर करे।