चकिया-राजदरी जलप्रपात पर सुरक्षा व्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर सैलानी कर रहे मस्ती, जरा सी लापरवाही में जा सकती है जान

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया-मानसून की दस्तक के बाद हुई बारिश से चकिया व नौगढ़ की वादियों का मौसम सुहाना हो गया है। गर्मी में सूखे गीले झड़ने वाली जलप्रपातों की रौनक बारिश होते ही बढ़ गई है। वहां का लुफ्त उठाने के लिए अब चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार में दूरदराज के सैलानियों की आमद भी बढ़ गई है। राजदरी, देवदरी के जंगल में मस्ती करने के साथ ही सैकड़ों फुट गहरी खाई के किनारे जलप्रपात से गिर रहे पानी में मौज मस्ती कर रहे हैं मगर जान जोखिम में डालकर स्नान भी कर रहे हैं।

अगर पत्थरों पर लगी काई से पैर फिसला तो बड़ा हादसा भी हो सकता है। काशी वन्यजीव प्रभाग की ओर से भी वहां अब तक सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। बारिश के समय जंगलों में स्थित नदी, नाले उफान पर होने से झरने, जलप्रपातों की रौनक लौट आई है। आसपास के जिलों से भी पर्यटक जंगल में शेर सपाटा करने के साथ ही जलप्रपातों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। जिले के दो प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में राजदरी, देवदरी, औरवाटांड, शामिल है। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार में स्थित राज दरी जलप्रपात में पहाड़ी से ऊंचाई से पानी गिरता है। पानी की एक चादर बन जाती है। झरना बहने से बड़ी संख्या में पर्यटक परिवार के साथ देखने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन इस झरने के आसपास फिसलन होने से मौत का खतरा रहता है।

*आधा दर्जन से अधिक की हो चुकी है अब तक मौत*
आपको बताते चलें कि राज दरी जलप्रपात में मस्ती करने के साथ ही जलप्रपात में नहाने के दौरान पिछले कई सालों में आधा दर्जन से अधिक सैलानियों की कुंड में गिरने से मौत हो चुकी है। इसके बाद भी अब तक न तो वहां वन विभाग की ओर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए और ना ही सैलानी गिर रहे पानी में नहाने से बाज आ रहे हैं। इससे वहां हमेशा खतरा बना हुआ है।

वही इस संबंध में प्रभागीय वन अधिकारी काशी वन्यजीव प्रभाग रणवीर मिश्रा ने कहा कि चंद्रप्रभा रेंज को जलप्रपात ओं के पास नहाने वाले सैलानियों को सुरक्षा की दृष्टि से हटाने के लिए वन कर्मियों की एक टीम को लगाने के निर्देश दिए गए हैं।