किशोर-किशोरी का सशक्तिकरण आवश्यक

गोंडा। किशोर-किशोरी का सशक्तिकरण जरूरी है। किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन भावनात्मक मानसिक एवं शारीरिक बदलाव को समझने और पहचानने की आवश्यकता है।ये बातें इटियाथोक ब्लॉक संसाधन केंद्र पर तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन से पहले संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कही।सेल्फ एस्टीम एंड बॉडी कॉन्फिडेंस प्रोजेक्ट के तहत आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन शनिवार को हो गया।कार्यशाला का प्रारंभ प्रेरणा गीत के साथ हुआ।फिर समूह वार द्वितीय दिवस का सारांश प्रस्तुतीकरण प्रशिक्षणार्थियों द्वारा किया गया।प्रशिक्षण के विभिन्न सत्रों मे बॉडी टाक शारीरिक बनावट से जुड़ी बातें, उनका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव, रंग रूप की तुलना ना करके गुणों की तुलना करना, चलिए बदलाव लाएं और बच्चों को बॉडी कॉन्फिडेंट् चैंपियन बनाऐ जैसे बिंदुओं पर चर्चा की गयी।संदर्भदाता दुर्गा प्रसाद ने ध्यान केंद्रित कैसे करें पर 'मुन्ना भाई कहता है' गति विधि कराई। प्रतिभागियों द्वारा कॉमिक बुक आधा फुल और गायब हाथी, आधा फुल और खतरे मे बदली पुर, आधा फुल और बोलती चट्टान का मॉक सेशन किया गया तथा उस पर फीडबैक भी दिया गया। संदर्भदाता के रूप मे रामायण मिश्र ने प्रतिभागियों को विद्यालयों मे सत्र संचालन के बारे मे बताया। शब्बीर अली 'चंचल ' ने प्रशिक्षण के सभी बिंदुओं को गीत रूप मे 'नव वर्ष का प्रशिक्षण प्रस्तुत किया। समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करके किया गया। एआरपी राधे रमण, दिलीप गुप्त,शब्बीर अली, यमुना बख़्श सिंह, राजकमल, राजकुमार गुप्ता, चंद्रशेखर वर्मा,अरुण मिश्र, चंद्रिका प्रसाद, शाश्वत मिश्र, मो. ज़ैद, ओम प्रकाश जैसवाल, सुजाता चौधरी,विंध्यवासिनी सिंह, रीना श्रीवास्तवा,अरुण कुमार पांडे आदि मौजूद रहे