मृतक समाजसेवी के इच्छानुसार मृत शरीर को सुहेलदेव मेडिकल कालेज को दिया -

बहराइच - जनपद के इतिहास में पहली बार समाज सेवा के क्षेत्र मे अग्रणी भूमिका निभाने वाले भारत विकास परिषद परिवार की प्रेरणा से मानव कल्याण के लिये अपना देह का दान करने वाले गल्ला व्यापारी मुरारी लाल अग्रवाल का देहावसान हो गया। जिसके बाद उनके परिजनो ने चिकित्सा विज्ञान मे शोध हेतु उनके पार्थिक शरीर को भारत विकास परिषद के पदाधिकारियो की उपस्थिति में मेडिकल कालेज के चिकित्सको को समर्पित कर दिया।
भारत विकास परिषद के शाखा सचिव बैजनाथ रस्तोगी ने बताया कि कल्पीपारा क्षेत्र के निवासी 82 वर्षीय समाजसेवी व व्यापारी स्व0 मुरारी लाल अग्रवाल ने भारत विकास परिषद को समाज सेवा हेतु भूमि दान की थी और भारत विकास परिषद द्वारा समाज सेवा के भाव से प्रेरित होकर मानव कल्याण के लिये अपने जीवन काल मे ही चिकित्सा शोध के लिये अपने देह का दान करने का निर्णय लिया था। जिसके चलते उनके निधन के उपरान्त उनके परिजनो ने उनकी इच्छा के अनुरूप उनके पार्थिव शरीर को चिकित्सा शोध के लिये सुहेलदेव मेडिकल कालेज मे चिकित्सको की टीम को सौप दिया।�
उन्होने कहा कि बहराइच मे समाजसेवा हेतु बड़े-बड़े दानवीर मिले परन्तु चिकित्सा शोध के लिये अपनी मृत्यु उपरान्त अपना शरीर का दान करना वास्तव मे बहुत बड़ा दान है और जनपद के चिकित्सा इतिहास मे पहली बार किसी व्यक्ति के मृत शरीर को चिकित्सा शोध हेतु दान किया गया है। इस प्रकरण मे चिकित्सको ने बताया कि मृत शरीर को चिकित्सा विधि के अनुरूप सुरक्षित रखा गया है और उच्चाधिकारियो के निर्देश पर उसे चिकित्सा शोध हेतु भेजा जायेगा।
वही स्व0 मुरारी लाल अग्रवाल के उनके बेटे जगदीश प्रसाद अग्रवाल ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पिता की इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनका शरीर मानव कल्याण के काम आ सके और चिकित्सा शोध के लिये उन्होने देह दान का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि पिता के शरीर को चिकित्सको को समर्पित कर दिया गया है और प्रतीक रूप मे उनके अन्तिम संस्कार की सभी रीति-रिवाज पूर्ण किये जायेंगे। अध्यक्ष अनिल गोयल,प्रदीप केडिया, सुशील ड्रोलिया,अजय ड्रोलिया,जयप्रकाश सक्सेना,प्रदीप ड्रोलिया, सुन्दर लाल अग्रवाल,अतुल गुप्ता,डॉ अनिलकेडिया, राहुल अग्रवाल,दिनेश श्रीवास्तव,शैलेंद्र गुप्ता, निकुंज केडिया,शरद काबरा,कृष्णा गोपाल टेकड़ीवाल,विराट गोयल आदि सदस्य गण उपस्थित रहे।