चंन्द्रकांता-वाराणसी इको टूरिज्म  परिपथ के निर्माण को मिली मंजूरी,जानिए कैसे बढ़ेगी आय, और रोजगार होगा पैदा 

चंन्द्रकांता-वाराणसी इको टूरिज्म परिपथ के निर्माण को मिली मंजूरी,जानिए कैसे बढ़ेगी आय, और रोजगार होगा पैदा

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

नौगढ़- वाराणसी के सांस्कृतिक पर्यटन तथा चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर के प्राकृतिक पर्यटन को जोड़ने की कवायद प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है। इसके तहत प्रारंभिक चरण में उत्तर प्रदेश वन विभाग तथा उत्तर प्रदेश वन निगम को ड्राई रन (पूर्वाभ्यास) की अनुमति मिल चुकी है। इसके साथ ही चंद्रकांता-वाराणसी परिपथ के अंतर्गत ईको टूरिज्म के विकास की संभावनाएं तलाशने का अभियान तेज कर दिया गया है। वाराणसी के सांस्कृति पर्यटन के लिए हर वर्ष लाखों घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आते हैं। इन पर्यटकों को वन क्षेत्र की विविधताओं एवं विशेषताओं से जोड़कर क्षेत्र में रोजगार पैदा करने तथा सरकार की आय बढ़ाने की कवायद राज्य सरकार ने शुरू की है। इस अभियान के तहत प्रस्तावित वाराणसी-चंद्रकांता ईको टूरिज्म परिपथ के निर्माण के पूर्व ड्राई रन आयोजित करने की अनुमति दी जा चुकी है। इसके तहत वन विभाग एवं वन निगम की ओर से चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर में टूरिज्म से जुड़े तमाम निजी संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श का दौर जारी है। इसी अभियान के तहत पिछले दिनो राजदरी जलप्रपात के प्रेक्षागृह में प्रधान प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) पीके शर्मा ने उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम, टूरिज्म गिल्ड तथा पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया था।
चंदौली जिले के के वन क्षेत्र में अनेक पौराणिक, सांस्कृतिक तथा ईको टूरिज्म के लिए मुफीद पर्यटन स्थल है। इनमें लतीफशाह, बाबा जागेश्वरनाथ, कोईलरवा हनुमान, अमरा भगवती एवं विशालकाय जलाशय मूसाखाड़, चंद्रप्रभा, नौगढ़ पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राजदरी, देवदरी, औरवाटाड़, छानपातर, लतीफशाह बीयर, मुजफ्फरपुर बीयर तथा दर्जनों प्राकृतिक जलस्रोत एवं पेयजल स्रोत उपलब्ध हैं। इनको परिपथ के साथ जोड़कर पर्यटकों को पर्यटन की दृष्टि से आवश्यक संसाधनो की उपलब्धता सुनिश्चित करके ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशी जा रही है। इ संबंध में काशी वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का चंद्रकांता-वाराणसी परिपथ एक हिस्सा है। यहां ईको टूरिज्म के विकास की संभावनाए तलाशने का अभियान जारी है। ड्राई रन के जरिए वन कानूनों का पालन करते हुए ईको टूरिज्म के विकास का प्रयास होगा।