पक्षी विहार में जिम्मेदारों कि सहमति से दवा डाल कर मारी जाती हैं मछलियां

सलोन/रायबरेली- रायबरेली जनपद से लगभग तीस किलोमीटर दूर समसपुर पक्षी विहार है जिसे उत्तर प्रदेश से लेकर देश विदेशों में जब कभी भी पर्यटन का नाम लिया जाता है तो रायबरेली जनपद के समसपुर पक्षी विहार का नाम हर किसी कि जुबां पर आता है। ये वही स्थान है,जहां प्रतिवर्ष शरद ऋतु में विदेशों व गैर प्रान्तों से आयी चिड़ियों कि चहक सुनायी देती है।सूबे कि सत्तासीन योगी सरकार भले ही प्रतिवर्ष पर्यटन व वन्य जीव संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट पास करे किन्तु समसपुर पक्षी विहार आज किसी और नहीं बल्कि वहां पर कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों कि भ्रष्ट कार्यशैली के चलते बदहाली से गुजर रहा है।जनपद मे स्थित सलोन तहसील क्षेत्र के समसपुर पक्षी विहार में यदि सूत्रों की माने तो इन दिनों वहां पर तैनात जिम्मेदारों की मिलीभगत से अबतक में लाखों रुपए की मछलियों का विक्रय कर दिया गया है।सुबह से ही सैकड़ों शिकारी आपको झील के सामने दिखाई देंगे जिसमें से कुछ शिकारी मछलियों को पकड़ते दिखेंगे तो कुछ मछलियों को ढोते दिखेंगे।वहां के कुछ स्थानीय ग्रामीणों कि माने तो समसपुर पक्षी विहार कि झील के रखवाली में लगे सभी जिम्मेदारों की संरक्षण में यह खेल होता है।जिसमें से कुछ ग्रामीणों ने पक्षी विहार में तैनात बंटी नाम के एक कर्मचारी का नाम खुलकर कैमरे पर लेते हुए बताया कि पक्षी विहार के कर्मचारी बंटी द्वारा आये दिन झील के आंशिक भाग में रात को दवा डाल दी जाती है।जिससे सुबह से ही सैकड़ों शिकारी इकट्ठे होकर मछलियों को निकाल कर ढोने लगते हैं।नाम न छापने कि शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने तो रात में पिकअप से भी मछलियों को ढोने कि बात कही है।आपको बताते चलें कि बुधवार को हड़कंप उस समय मचा जब तेजस टूडे हिंदी दैनिक अखबार का संवाददाता इस पूरे मामले कि सच्चाई जानने मौके पर पहुंच गया।जिससे वहां मौजूद शिकारियों में भगदड़ मच गई कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पक्षी विहार के परिसर में मौजूद कैन्टीन में हजारों मछलियों को कैद कर के रखा गया है।जिसे शाम होते ही व्यापारी के पिक अप पर लादकर बाहर भेज दिया जाएगा।जिसकी सच्चाई जानने हेतु जब वहां के तैनात कर्मचारियों से कहा गया तो पहले आदेश नहीं है का बहाना किया उसके बाद कैन्टीन न खुलवाने कि बात कहकर गिड़गिड़ाने लगा।अब यहां पर सवाल यह उठता है है कि आखिर किसकी सह पर पक्षी विहार में तैनात जिम्मेदारों कि संरक्षण में झील में पल रही मछलियों कि तस्करी करवाई जा रही है ? यदि ग्रामीणों द्वारा मछलियों के विक्रय का लगाया गया आरोप गलत है तो आखिर सुबह जब झील से सैकड़ों शिकारी मछलियां ले जातें हैं तो मूकदर्शक क्यूं बने रहते हैं पक्षी विहार में तैनात जिम्मेदार ? ये सारे सवाल क्षेत्रीय ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

एसडीएम सलोन का गैर जिम्मेदाराना बयान आया सामने-
यूं तो सलोन? तहसील के भ्रष्ट अधिकारी वैसे ही अपनी भ्रष्ट कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में रहते हैं किन्तु अचम्भा तब होता है जब किसी भी मामले में पहले एसडीएम सलोन दिव्या ओझा का तो फोन नहीं उठता और जब उठता भी है तो उनके तरफ से मामले में दिया गया गैरजिम्मेदाराना बयान उनकी भ्रष्ट कार्यशैली कि ओर साफ़ तौर से इशारा करता है। एसडीएम सलोन को इस मामले कि पूरी जानकारी होने के बावजूद रेंजर से बात करने कि बात कह कर टाल दिया जाता है और फोन काट दिया जाता है।मामले में गैर जिम्मेदाराना बयान दे ये अपनी दायित्वों से विमुख रहतीं हैं।

हम लखनऊ में हैं आते ही करेंगे कार्यवाही- एस आई

वहीं जब इस बावत पक्षी विहार में तैनात एस आई से बात कि गई तो उन्होंने मामले से अंजान बनते हुए बताया कि हम आज किसी जरूरी कार्य से लखनऊ आये हुए हैं लखनऊ से आते ही मामले में कार्यवाही कि जायेंगी।