राम भरोसे चल रहे स्योहारा बिजलीघर के अधिकारिओं का लापरवाह रवैय्या

स्योहारा (बिजनौर)

स्थानीय बिजली घर पर तैनात अधिकारी वर्ग की उदासीनता के चलते क्षेत्र के विधुत उपभोक्ताओं को समय से बिल अदा करने के बाद भी बिजली नही मिल पा रही है।
स्थानीय बिजली घर के शहरी फीडर टाउन फास्ट व टाउन सेकेंड को चलाने वाली मशीनरी की सीटी प्लेट आये दिन फटने से कभी पूरा दिन तो कभी पूरी रात और दिन उक्त फीडरों की विधुत ठप हो जाना रोज़मर्रा की बात हो गई है।
इसी कड़ी में बीती शाम टाउन फास्ट की फीस प्लेट के फटने के कारण रात में मात्र कुछ ही घन्टे बिजली मिल पाई और दिन निकलते ही ख़बर लिखे जाने यानी शाम 5 बजे तक उक्त फीडर की बिजली नदारद रही। उक्त स्टेशन से जुड़े टाउन फास्ट व टाउन सेकेंड की फीस प्लेट का महीने में एक या दो बार फटना आम बात हो गया है। सम्बन्धित अधिकारी जेई, एसडीओ एक्स ईइन से मिल बात करना चाहे तो वो बिजली घर से नदादर रहते है इतना ही नही विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए सीयूजी मोबाइल नम्बर पर भी बात करना पसंद नही करते है। कुल मिलाकर बिजली घर पर संविदा कर्मचारी या लाइनमैन ही दिखाई देते है। जो ख़राब मशीनरी को जुगाड़ से दुरुस्त कर विधुत सप्लाई बहाल करने की भरपूर कोशिश करते है। आये दिन आने वाली ख़राबी के विषय मे जब बिजली घर के एसडीओ प्रेम सिंह से फोन पर विधुत सप्लाई बाधित होने की वजह जानना चाहा उनका कहना था कि सीटी प्लेट फट गई है जिसे बुलंदशहर से लेने के लिए हमारे आदमी बाइक से गए हुए है। बुलंदशहर से ही क्यों तो उस पर एसडीओ प्रेम सिंह ने बताया कि यह आसपास नही मिलती है। वही दूसरी और स्थानीय बिजली घर के�एक्सएन अरूण कुमार से जब इस समस्या पर बात की गई तो उन्होंने भी सीटी प्लेट ख़राब होने की बात कही और कहा हमने अपने दो कर्मचारियो को मेरठ भेजा है सीटी प्लेट मंगाने के लिए;जब वो लेकर आ जायेंगे तब सप्लाई बहाल हो जाएगी। बिजली विभाग के दोनों अधिकारियों के बयान अलग-अलग थे एक अधिकारी बुलंदशहर से समान लाने की बात कह रहा है तो वहीं दूसरा अधिकारी मेरठ से सामान लाने की बात कह रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनो अधिकारियों में से एक अधिकारी तो झूठ बोल रहा है और उसे अपने बिजलीघर की वास्तविक स्थिति का पता ही नहीं है। एक्सईन अरुण कुमार से जब पूछा गया कि खराब हुआ सामान आपके पास रिज़र्व में क्यों नहीं है तो उन्होंने कहा कि बिजली घर के पास इतना पैसा नहीं है कि वह पहले से खरीद कर रखें। ऐसा गैर जिम्मेदाराना जवाब देने वाले वाले अधिकारी से क्या उम्मीद की जा सकती है? दूसरा अहम सवाल यह है कि जब बिजली विभाग के पास अपना चार पहिया सरकारी वाहन मौजूद है तो कर्मचारियों की जान जोखिम में डालकर बाइक द्वारा क्यों भेजा गया? क्या सरकारी गाड़ी अधिकारियों के निजी इस्तेमाल में लाई जा रही जा रही है? वजह चाहे कोई भी हो फिलहाल विद्युत उपभोक्ताओं में विद्युत कर्मचारियों की उदासीनता के चलते काफी गुस्सा देखा जा रहा है।