चंदौली-जनपद में यहां जुआरी कोटेदार के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, हटाने का किया मांग

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय�

�*जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वर्तमान समय में कोरोना काल के दौरान लाक डाउन को देखते हुए गरीब असहाय लोगों को सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों �को निशुल्क राशन बांटने के निर्देश जारी कर दिए हैं। �जिससे गरीबों को किसी भी प्रकार कि कोई परेशानी ना हो और कोई भी गरीब भूखा ना सोने पाए। लेकिन उसके बाद ही कहीं कहीं शासन के निर्देशों को कोटेदारों द्वारा ठेंगा दिखाया जा रहा है और गांव की गरीब व असहाय जनता से मनमानी किया जा रहा है।*

*कुछ ऐसा ही मामला चंदौली जनपद में देखने को मिला है। जहां की सदर ब्लाक के दुदे गांव में �मंगलवार को कोटेदार की मनमानी तथा राशन वितरण में अनियमितता को लेकर ग्रामीणों ने क्षुब्ध होकर कोटेदार के खिलाफ प्रदर्शन किया और उसे हटाए जाने की मांग की।*

*वही ग्रामीणों ने हमारे संवाददाता कार्तिकेय पांडेय से बातचीत के दौरान बताया की कोटेदार द्वारा ग्रामीणों को राशन वितरित करते समय मनमानी की जाती है।और गांव के गरीब असहाय लोगों को राशन नहीं दिया जाता है। और अपना राशन मांगने पर ग्रामीणों से गाली गलौज तथा अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है। वही ग्रामीणों ने बताया कि गांव का कोटेदार जुआरी तथा शराबी किस्म का आदमी है। जो गांव में निकलकर दिनभर जुआ खेलता है और जब ग्रामीण उसके पास पहुंचते हैं तो वह डांट कर भगा देता है। वही ग्रामीणों ने बताया कि कोटेदार द्वारा बचा हुआ राशन दुकानों पर ले जाकर बेच दिया जाता है और राशन वितरित करते समय लोगों से अधि दुकानों पर ले जाकर बेच दिया जाता है और राशन वितरित करते समय लोगों से मूल्यदर से अधिक पैसे लिया जाता है जब ग्रामीण पूछते हैं तो कहता है कि अधिकारियों को देने के लिए दिया जा रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है और ग्रामीणों �कोटेदार की कार्यशैली और अनियमितता को लेकर प्रदर्शन कर उसे हटाए जाने की मांग की ग्रामीणों ने कहा कि गांव में अब तक कोई भी अधिकारी नहीं आया और हम ग्रामीण मजदूरी करने वाले व्यक्ति हैं दिन भर मजदूरी करके अपना जीविकोपार्जन करते हैं और अधिकारियों के यहां तक पहुंचने के लिए हमें जानकारी ही नहीं है। जिसे हम अधिकारियों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाते और कोटेदार हम लोगों से उसका फायदा उठा कर मनमानी करता है।*

*अब देखना यह होगा कि क्या खबर चलाने के बाद विभागीय अधिकारी मामले को संज्ञान में लेते हैं या फिर नहीं। या इसी तरह कोटेदार की मनमानी चलती रहेगी जिससे कि ग्रामीण परेशान होते रहेंगे।*