देखो वह समीप आ रही है
साथ में चलना है समझा रही है।
देह कह रहा तनिक रुक ...">

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साथ में चलना है समझा रही है।
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साथ में चलना है समझा रही है।
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देह का मोह 2

"मृत्यु का क्षण"

देखो वह समीप आ रही है
साथ में चलना है समझा रही है।
देह कह रहा तनिक रुक जाओ
कुछ सपने अभी भी बाकी है।
काम अभी अधूरे हैं करने उनको पूरे हैं
जल्दी से कर लेता हूँ जो आशाएं बाकी है।
मृत्यु कह रही क्या करोगे सपनो का
जो जीवन भर कर न पाया तु।
लोग मोह माया में घिरकर
कुछ भी तो ना कर पाया तू।
कुछ भी करले जतन तु अपनी
और ना बच पायेगा।
मिट्टी का तन है मिट्टी में मिल जाएगा
धरा पर तेरा सब किया धरा रह जाएगा।
चलना तो होगा ही तुझको
एक मै ही बस अब तेरा ना कोई साथी है।

ममता नंदे जशपुर