फेंसिडल माफिया को पकड़ कर छोड़ना दवा बाजार की चर्चाओं में ? 

ड्रग विभाग की कार्यवाही पर एक बार फिर प्रश्न चिन्ह ?

आगरा। लगातार विवादों के घेरे में रहने वाले फैंसीडल माफिया को नवागत ड्रग इंस्पेक्टर नरेश मोहन दीपक द्वारा पूंछताछ के लिया बुलाया गया था जिनके पास से कई अहम जानकारी सामने आई थी साथ ही ड्रग विभाग द्वारा सम्मानित मीडिया बन्दुओ को जानकारी साझा भी की गई थी कि इन माफियाओ का सालाना टर्नओवर चालीस करोड़ रुपये के लगभग है जिसको आगरा के प्रमुख समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किया गया था आखिर कार इस माफिया गैंग द्वारा चालीस करोड़ रुपये का टन ओवर के साथ कई अहम जानकारी पुलिस व विभाग को मिली थी। उसके बाद भी ड्रग विभाग व आगरा पुलिस ने इस माफिया गैंग के खिलाफ कार्यवाही न करके आखिर क्लीन चिट कैसे दे दी यह कार्यवाही दवा बाजार में चर्चा का विषय बनी हुई है। अगर यह फेंसिडल माफिया आरोपी नही है तो इस माफिया के सेल व परचेज को विभाग द्वारा क्यो रोका गया है । अगर यह माफिया आरोपी पाया गया है तो उसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नही की गई। यह कार्यवाही ड्रग विभाग के ऊपर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है। एक तरफ ड्रग विभाग के अधिकारी को सब जानकारी है कि यह माफिया गैंग सालाना करोड़ो की दवाइयों की बिलिंग करता है और यह दावा कहा सप्लाई करता है आखिर इसकी जांच क्यों नही कर पाया यह भी एक बड़ा सवाल ड्रग विभाग के ऊपर सवाल खड़ा करता है। आखिर फेंसिडल माफिया गैंग करोड़ो की दवाईयों की सप्लाई कहा कहा सप्लाई करता है यह एक जांच का विषय है। आखिर उस जानकारी को विभाग द्वारा साजा क्यो नही किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी में यह ज्ञात हुआ है कि यह फेंसिडल माफिया 40 करोड़ की सलांना बिलिंग किया करते थे। उस सालाना टन ओवर की बिलिंग की जांच गहनता से की जाए तो इन माफियाओ के तार किस किस से जुड़े है उसका पता भी लगाया जा सकता है । एक तरफ ड्रग विभाग के अधिकारी ड्रग माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे भारतवर्ष में अपनी एक अलग पहचान बना कर इतिश्री हासिल कर रहा हैं तो वहीं दूसरी तरफ यह विभाग फेंसिडल माफिया गैंग को संरक्षण दे कर अपने ऊपर दवा बाजार में प्रश्न चिन्ह लगा चुका है इसे कहा जाना गलत नहीं होगा जब फेंसिडल माफियाओं को आगरा पुलिस व ड्रग विभाग द्वारा कार्रवाई के लिए थाने ले जाया गया था तो इस फेंसिडल माफियाओं गैंग के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह सवाल आगरा ही नही सांध्य पहल के सभी सम्मानित पाठक आगरा पुलिस व ड्रग विभाग से पूछता है । एक बार आगरा की जनता को लगने लगा था कि नवागत ड्रग इंस्पेक्टर नरेश मोहन दीपक आए हैं तो आगरा से ड्रग माफियाओं के खिलाफ जरूर अंकुश लगेगा और गंदगी खत्म होगी लेकिन फेंसिडल माफियाओं को छोड़ देना और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही ना करना यह सवाल आगरा की व दवा व्यापारियों के हलक से नीचे नही उत्तर रहा है एक तरफ ड्रग विभाग के अधिकारी कहते हैं कि फेंसिडल माफिया गैंग आगरा से करोड़ो की बिल्डिंग करता हैं और माल ऊपर ही ऊपर बेच देते हैं जब इतनी हकीकत नवागत ड्रग इंस्पेक्टर को है तो उनके खिलाफ आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई सूत्रों से मिली जानकारी में यह भी ज्ञात हुआ है कि इन फेंसिडल माफियाओं को आगरा पुलिस व ड्रग विभाग की टीम ने पूछताछ के लिए थाने बुलाया था जिसमें ड्रग विभाग द्वारा यह भी बताया गया था कि इनके पास से कई दस्तावेज पेनड्राइव डाटा और कई फर्जी फर्मो के लाइसेंस व अन्य जानकारी प्राप्त हुई है । यह माफिया का टर्नओवर लगभग 40 करोड़ के आसपास है 40 करोड़ के आसपास के टन ओवर में आखिर माफिया क्या सप्लाई करते हैं मिली जानकारी में ज्ञात हुआ है कि यह माफिया फेंसिडल की कालाबाजारी किया करते थे जब यह माफ़िया फेंसिडल की काली बाजारी करते हैं तो इनके खिलाफ आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह सवाल ड्रग विभाग के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है अब देखना होगा कि ड्रग माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर इतिश्री हासिल करने वाला ड्रग विभाग आखिर कब तक इन फेंसिडल माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगा।