देव दीपावली: पीएम के दीप जलाते ही जगमग हुई काशी, चाराें ओर दिव्य और भव्य नजारा

देव दीपावली: पीएम के दीप जलाते ही जगमग हुई काशी, चाराें ओर दिव्य और भव्य नजारा

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

तीनों लोकों से न्?यारी भगवान शिव की नगरी काशी सोमवार की शाम एक बार फिर ऐतिहासिक नजारों का गवाह बनी। देव दीपावली के मौके पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री गंगा घाट पहुंचे। राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीया जलाते ही गंगा किनारे लगे लाखों दीये जगमगा उठे। हर तरफ अलौकिक छठा बिखर गई। हर बार केवल गंगा के इस बार ही रोशनी होती थे लेकिन पीएम मोदी की अगवानी में गंगा पार रेती भी रोशन हुई।

अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्?व विख्यात देव दीपावली के मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर खास नजारा देखने के लिए देश-दुनिया से लोगों का हुजूम दोपहर बाद ही घाटों की ओर बढ़ चला था। भीड़ देखकर नहीं लग रहा था कि कोरोना जैसी कोई महामारी भी फैली है।


रेत शिल्प, झांकियों और रंगोली ने मोहा मन
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन के कारण इस बार रेत शिल्प का अद्भुत नजारा देखने को मिला। कई घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रंगोली ने लोगों का मन मोह लिया। घाटों पर गुब्?बारों और फूलों संग सजावट ने जहां विदेशियों को चमत्?कृत किया तो रेत पर आकृतियां उकेर कर घाटों की रौनक से पर्व को उल्?लासित किया। दूसरी ओर आस्?थावानों की अपार भीड़ ने गंगा की निर्मलता को नमन कर गंगा के प्रति अपार आस्?था को ऊंचाइयां प्रदान कीं। दशाश्वमेध घाट पर हर साल की तरह अमर जवान ज्योति और इंडिया गेट ने आकर्षिक किया।

रोशनी से नहा उठे गंगा घाट
घाट पर जहां आयोजकों की ओर से तैयारियों को दोपहर तक पूरा कर आयोजन को भव्?य रुप देने की तैयारी पूरी कर ली गई वहीं सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का इंतजार था। मोदी के दीप जलाते ही उत्?तरवाहिनी मां गंगा समेत नदियों और सरोवर कुंडों के तट पर लाखों दीपों की माला जगमगा उठी। धूप-दीप, गुग्?गुल-लोबान की सुवास ने श्रद्धा के भाव संग शाम होते ही घाटों को गमकाया तो घाटों की अर्ध चंद्राकार श्रृंखला भी आस्?था के अपार सागर से ओतप्रोत नजर आई। घाटों की साज सज्?जा ऐसी कि मानो स्?वर्ग साक्षात मां गंगा के आंचल में समाने को व्याकुल नजर आने लगा। दूर गंगा के उस पार रेती पर भी आस्?थावानों की चहलकदमी घाटों की अर्धचंद्राकार छवि को अपलक निहारती नजर आई।


वरुणा के तट भी हुए रोशन
काशी की दूसरी प्रमुख वरुणा नदी के तट पर रामेश्?वर और शास्?त्री घाट भी दीपों और रोशनी से दिन ढलने के साथ ही नहा उठा। एक अनुमान के मुताबिक गंगा तट पर 15 लाख से अधिक दीप जलाए जा रहे हैं। शाम होते ही 15 घाटों पर संगीत का कार्यक्रम भी प्रारंभ हो चुका है।

अनुपम छटा देखने उमड़ा जनसमूह
लाखों लोगों के कदम घाटों की ओर ऐसे बढ़ चले मानो मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को लंबे समय के लिए लोग नजरों में कैद कर लेने को व्?याकुल हों। रात गहराने के साथ ही घाटों पर रोशनी का सौंदर्य ऐसा सवार हुआ कि उसकी गंगा में बनने वाली छवियां लोगों के मन मस्तिष्?क पर जादू बिखेरने लगीं। सूर्य अस्?त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक-एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले। दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी और मुख्?य घाट पर आयोजन में शामिल उजाला मानो चंद्रहार में लॉकेट की भांति नदी के दूसरे छोर से प्रकाशित नजर आने लगा। वहीं गंगा तट के दूसरे किनारे पर भी गंगा की रेती में आस्?था की मानो खेती ऐसी नजर आई कि इस छोर के बाद उस छोर पर भी तारे जमीन पर उतर आए हों।

दोपहर बाद ही घाट और गलियां पर्यटकों से पटीं
आस्?था का रेला ऐसा कि देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं। जैसे जैसे भगवान भाष्?कर अस्?ताचलगामी हुए वैसे वैसे ही आस्?था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने स्?वत: स्?फूर्त भाव से बढ़ चला। भगवान शिव को स?मर्पित इस विशिष्?ट आयोजन में काशी विश्?वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्?वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, बीएचयू स्थित विश्?वनाथ मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में भी शाम होते ही असंख्?य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी। वहीं शिवाला घाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर शमां बांध दिया।

प्रमुख घाटों पर आस्था का सैलाब दिखा
काशी के प्रमुख घाटों पर दोपहर बाद तीन बजे से ही आस्?था का उफान ऐसा उमड़ा कि दिन ढलने तक हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का उदघोष कर भीड़ का बहाव गंगा तट की ओर बढ़ चला। देखते ही देखते घाट पर पांव रखने की भी जगह मिलनी मुश्किल हुई तो लोगों ने दूसरे घाटों का रुख कर देव दीपावली के पर्व को विस्?तार दिया। गंगा तट स्थित घाटों की श्रृंखला के क्रम में हर घाट पर अनोखे तरीके से हुई सजावट ने जहां लोगों का मन मोह लिया वहीं पंचगंगा घाट पर प्रकाशित होने वाला हजारा (हजार दीपों) का मंच भी अनोखे जल प्रकाश पर्व पर आभा बिखेरता नजर आया। काशी विश्?वनाथ दरबार से लेकर सारनाथ स्थित सारंगनाथ मंदिर तक शाम होते ही दीयों से सजने लगा ताकि काशी के इस प्रकाश पर्व पर भगवान शिव को भी प्रकाश अर्पण कर पुण्?य के भागी बन सकें।