बदहाली की ज़िंदगी गुज़ार रहे शरीफ हीरो का हुआ निधन

रिहान/नसीम / बिजनौर/स्योहारा: लगभग चार दशक फिल्मी दुनिया मे संघर्षरत रहे फ़िल्म अभिनेता आनंद बिजनोरी अब अपने पैतृक नगर वापस आकर अपने पुश्तेनी मकान में रहकर तंगहाली, बेबसी, बीमारी और तन्हाई में ज़िन्दगी के बचे, कूचे दिन गुज़ारने को विवश हैं रहे जिनका मंगलवार को निधन हो गया हांलाकि आज भी कहने को उनके भाई, भतीजो का भरा पूरा उनके साथ ही रहता है आनंद बिजनोरी का जन्म का नाम मोहम्मद शरीफ है लेकिन लोग उनकी कला और स्टेज के कार्यक्रमों से प्रभावित होकर उन्हें शरीफ हीरो के नाम से पुकारते थे आनंद बिजनोरी वर्ष 1944 में स्योहारा नगर के चांद खां के घर मे जन्मे थे घर के हालात अच्छे न होने की वजह से वो मिडिल क्लास तक की ही तालीम हासिल कर सके थे बचपन से ही उनके सिर पर फिल्मो का जुनून सवार था वो कालिज और अन्य समारोहों में स्टेज शो करने लगे और एक दौर वोह भी आया जब  तक किसी भी कार्यक्रम या समारोह को अधूरा माना जाता था तब तक  शरीफ हीरो उर्फ आनन्द बिजनोरी की  मौजूदगी दर्ज ना हो सकी हो!वो अपने स्टेज कार्यक्रमो में गंगा मेरी माँ का नाम, बाप का नाम हिमालय, रुके ना जो ,झुके ना जो हम वो इंक़लाब हैं जैसे देश भक्ति के गीतों के लिये स्टेज कार्यक्रमो के नायक मने जाने लगे थे उन्होंने  दर्जनों चेरिटी शो करके देश की आपदा के समय राहत कोष में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया आनन्द बिजनोरी वर्ष 1980 में फिल्मो में काम करने का सपना दिल सजाये मुम्बई जा पहुंचे और उन्होंने जूनियर कलाकार की हैसियत वर्ष 82 के दशक में बड़े पर्दे की पहली फ़िल्म अंकुश में अभिनय किया और उसके बाद उनकी दूसरी फिल्म प्रतिघात ने  काफी सुर्खियां बटोरी थी आनन्द बिजनोरी ने करीब एक दर्जन फिल्मो में काम किया जिसमें एक नम्बर का चोर, काम कला चोसठ, दिलरुबा तांगे वाली, पहला आशिक़ पहला क़ातिल ही रिलीज़ हो सकी और अब एक दुर्घटना में चोटिल हुए आनन्द अपने पुश्तेनी घर  मे अपनी बेबसी की ज़िंदगी गुज़र रहे हैं आनंद बिजनोरी विवाह से कोसो दूर रहकर जीवन के 60 सालों तक फिल्मो में अभिनय करने के लिये करते रहे और तमाम दुख तकलीफे झेलते रहने के बावजूद  कल तक भी उनके मुख पर चितपरिचित मुस्कान छाई रहती है तो वहीं आज अपनी ज़िंदगी से हारते हुए शरीफ हीरो का निधन हो गया जिनको आज तमाम नम आंखों के बीच सुपुर्द खाक कर दिया गया जब उनसे इस पत्रकार ने आनन्द बिजनोरी से उनकी वर्तमान स्तिथि के बारे में जानना चाहा तो बरबस ही उन्होंने ये शेर पढ़ कर अपना दर्द बयां, कीया था की हम तो समझे थे कि होगा कोई ज़ख्म, तेरे दिल मे तो बड़ा काम रफू का निकला,  उसके बाद किसी शायर का ये शेर गुनगुनाते वक़्त इस कलाकार की आंखों में आसुंओ का सैलाब सा उमड़ पड़ा था वक़्त की गर्द में धुंधला गये माज़ी के नकुश, अब तो पहचान की हद  में तेरा  चेहरा भी नही