दिल्ली: गोल्ड मेडलिस्ट रहने वाला खिलाड़ी कर रहा है ध्याड़ी मजदूरी

दिल्ली। वजीराबाद संगम विहार गली नंबर 10 में रहने वाला जेनवाज अंडर 16 से 20 तक लगातार एथलीट में गोल्ड मेडलिस्ट रहे है। लेकिन अब सबसे तेज रनिंग स्पीड 48 .90 से दौड़ने वाले जेनवाज की स्पीड को अब ब्रेक लग चुका है। यह सबसे सुपर फास्ट भागने वाला खिलाड़ी की अब सरकार पर ही उम्मीद टिकी हुई है। की सरकार जरूर इन खिलाड़ियों के लिए जरूर कोई ना कोई समस्या का समाधान निकालेगी।

भले ही जेनवाज की स्पीड की इस कोरोना काल के चलते ब्रेक लग गया हो लेकिन देश का नाम रोशन करने का जो जज्बा इनके अंदर है। वो आज भी कायम है। लॉक डाउन के चलते इनके घर के हालात बदहाल हो गए। लेकिन इन्होंने हिम्मत नही हारी ये अब ढाड़ी मजदूरी करते है। और अपनी जरूरते पूरी करने की कोशिस करते है।

यही नही इनके माता पिता ने जो सपने जेनवाज को लेकर देखे है कि। वो देश का ऐथलेक्स खिलाड़ी बने। ये सपना साकार करने के लिए। जेनवाज के पिता किसी टेलर की दुकान पर 200 रुपये मजदूरी करते है। और इनकी मा घर पर छोटी सी परचून की दुकान के साथ साथ घर मे चूड़ीओ को डिजान करने का काम करती है। जेनवाज ने स्टेट लेवल व नेशनल लेवल पर स्पीड स्पोर्ट रिनिग में पिछले लगातर 4 साल से गोल्ड मेडलिस्ट रहे है। इनके पास ये मेडल, तमगे, सेटफिकेट ओर ट्रॉफी इस बात का खुद सबूत है कि। जेनवाज ने पछले 4 साल किस तरह की महन्त की ओर उसका परिणाम आप के सामने है।

जेनवाज ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से अपील की। कि उन जैसे काफी ऐसे खिलाड़ी हैं। जो गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। लेकिन आज उनके मेडलो पर इतनी इतनी धूल जम चुकी है। कि अब उन्हें कोई देखने वाला नही न ही उनके मेहनत को चार चांद लगाने वाला सामने नहीं आ रहा है। ऐसे खिलाड़ियों के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार कोई ऐसा प्रावधान बनाएं। कि वह और मेहनत करें और देश का नाम रोशन करें। जनवाद ने कहा कि जैसे ही खेल दोबारा शुरू होंगे मैं मेथलिस में दोबारा भाग लूंगा और नेशनल लेवल ही नहीं मैं इंटरनेशनल खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहता करूंगा।

दिल्ली सरकार केंद्र सरकार से गुजारिश है। कि हम जैसे खिलाड़ियों के लिए कोई ऐसा रिपोर्ट स्थल बनाए और ऐसी कोई स्किम चलाए जिससे हमें कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। हम इंटरनेशनल खेलें और देश का नाम रोशन करें ।

फिलहाल इन्हें सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई सुविधा या कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। जिससे यह मेहनत कर देश का नाम रोशन करें। फिर भी यह खुद मेहनत कर रहे हैं। और इनके माता - पिता उनका साथ दे रहे हैं. क्योंकि एथलीट में स्पीड में भागने के लिए सबसे ज्यादा अच्छे जूते होना जरूरी है। और इनके पास पहनने के लिए चप्पल तक नहीं है। जरूरत है। सरकार खिलाड़ियों के लिए कोई ऐसा प्रावधान बनाएं जिससे यह खिलाड़ी देश का नाम रोशन करने में पीछे ना रहे।