दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल में डॉक्टर पर पिस्तौल तानने की घटना: सुरक्षा और पुलिस की भूमिका पर सवाल

दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल में एक बार फिर सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। रात के एक बजे बर्न वार्ड में एक व्यक्ति ने नशे की हालत में डॉक्टरों को धमकाया और पिस्तौल तान दी। यह व्यक्ति गाली-गलौच करते हुए वार्ड में दाखिल हुआ और डॉक्टरों से बहस करने लगा। उसने ओमवती नाम की महिला से मिलने की मांग की, जो पिछले चार महीनों से बर्न वार्ड में भर्ती थी। इस व्यक्ति के द्वारा पिस्तौल दिखाए जाने के बाद डॉक्टर दहशत में आ गए और तत्काल सिक्योरिटी को बुलाया, साथ ही पुलिस को भी सूचना दी।

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर व्यक्ति से पूछताछ की। उसने उत्तर प्रदेश पुलिस के सब इंस्पेक्टर चंद्र किशोर सिंह के नाम पर जारी आई कार्ड दिखाया। इसके बावजूद, दिल्ली पुलिस ने बिना मेडिकल लीगल केस (एमएलसी) कराए उसे तुरंत छोड़ दिया। इस कार्रवाई से अस्पताल के डॉक्टरों में गहरा आक्रोश फैल गया है। उनका कहना है कि ऐसी गंभीर स्थिति में पुलिस को उचित कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

यह घटना अकेली नहीं है; अस्पताल में सुरक्षा को लेकर पहले भी कई समस्याएं उठ चुकी हैं। लगभग दो महीने पहले, गायनी विभाग में एक डॉक्टर के साथ मारपीट की गई थी। इसके अतिरिक्त, एक हफ्ते पहले ही एक बदमाश ने अस्पताल में घुसकर एक मरीज को गोली मार दी थी। इस घटना के बाद डॉक्टरों ने दो दिन की हड़ताल की थी, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा में कोई खास सुधार नहीं हुआ।

अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ सुरक्षा की कमी को लेकर बार-बार आवाज उठा चुके हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं ने उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया है। डॉक्टरों ने पुलिस और अस्पताल प्रबंधन से सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि अस्पताल के भीतर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

वहीं, दिल्ली पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर आरोपी को छोड़ देने का निर्णय लिया, जो कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों के लिए निराशाजनक था। डॉक्टरों का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया के प्रति गंभीरता की कमी को दर्शाती है। अगर पुलिस ने एमएलसी कराया होता और आरोपी पर उचित कानूनी कार्रवाई की होती, तो इससे न केवल आरोपी के खिलाफ ठोस कदम उठाए जा सकते थे, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति को भी रोका जा सकता था।

अस्पताल प्रशासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वे यह सुनिश्चित करने के प्रयास में हैं कि अस्पताल की सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सके और डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल को सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर सुधार की आवश्यकता है। डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है। पुलिस और अस्पताल प्रशासन को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके और सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।