जशपुर रिश्वत कांड में बड़ा फैसला: लेबर इंस्पेक्टर को 3 साल जेल, कोर्ट ने कहा—“भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं”

छह साल बाद आया न्याय का ?करारा प्रहार?

जशपुर में Jashpur Labour Inspector Rishwat Case Court Judgment ने बड़ा मोड़ लेते हुए साल 2019 में रिश्वत लेते पकड़े गए लेबर इंस्पेक्टर सुरेश कुर्रे को 3 साल सश्रम कारावास और 50 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाकर साफ संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

इस फैसले के बाद ACB Trap Case, Corruption Act Chhattisgarh और सिस्टम में बढ़ती जवाबदेही पर चर्चा तेज हो गई है।

एसीबी ट्रैप: 40 हजार लेते ही दबोच लिया गया था अधिकारी

14 अक्टूबर 2019

बिलासपुर एसीबी की टीम पहले से तैयार थी। जैसे ही लेबर इंस्पेक्टर ने रिश्वत की 40 हजार रुपए की रकम हाथ में ली, टीम ने मौके पर ही उसे पकड़ लिया।

एसीबी की इस कार्रवाई ने प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया और इस ट्रैप ऑपरेशन ने आरोपी के खिलाफ पूरे केस की नींव मजबूत कर दी।

कैसे फूटा भ्रष्टाचार का ?बड़ा गुब्बारा??

यह मामला तब खुला जब ?छग अभिनंदन एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी? के संचालक रमेश कुमार यादव ने शिकायत की कि कौशल विकास योजना की 6 लाख 37 हजार की राशि रिलीज करने के बदले सुरेश कुर्रे ने 1 लाख 90 हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी।

पीड़ित की शिकायत पर एसीबी हरकत में आई और फिर हुआ वह ट्रैप जिसने आरोपी की सारी योजनाएं ध्वस्त कर दीं।

कोर्ट का कड़ा संदेश: ?पद का दुरुपयोग करने वाले को राहत नहीं?

विशेष न्यायाधीश एवं जिला सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार साहू की अदालत ने धारा 7 के तहत अपराध साबित होने पर साफ कहा?

?सरकारी पद का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए करना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में नरमी नहीं बरती जाएगी।?

शासन की ओर से लोक अभियोजक सीपी सिंह और बचाव पक्ष की ओर से अनुराग मोहित नाथ ने अदालत में पैरवी की।

भ्रष्टाचार पर ?जीरो टॉलरेंस??सिस्टम को मिला सख्त संकेत

इस फैसले को पूरे प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ ?मेजर सेटबैक? और एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

Jashpur Labour Inspector Rishwat Case Court Judgment अब उदाहरण बन चुका है कि रिश्वत लेकर बच निकलने का दौर खत्म हो चुका है।