डॉ राजेश भंडारी "बाबू"ने मालवी मेले में कविता पाठ

अद्भुत और यादगार बन गया दो दिवसीय मालवी मेलें का कवि सम्मेलन, मालवी काव्यपाठ सुनकर मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

हर साल की तरह इस साल भी आयोजित दो दिन से मालवी में लिखा शुभारंभ 4 अक्टूबर को विट्ठल रुक्मिणी गार्डन केसरबाग रोड पर किया गया। औपचारिक शुरुआत के बाद इस बार मेले का मुख्य आकर्षण रहा मालवी कवि सम्मेलन। इस मेले का आयोजन विगत सात वर्षों से अर्चना ललित मंडलोई, डॉक्टर दीपा मनीष व्यास, संगीता मनोज पंडित और विभा मनीष दुबे के साथ उनकी टीम कर रही है।डॉ. विकास दवे जी के मार्गदर्शन में साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा "भावसार बा" की स्मृति में व्याख्यान एवं रचनापाठ की रसधारा में डाॅ.शशि निगम जी, बने सिंह जी, मनोहर दुबे जी, राधेश्याम कराड़ा जी, सुभाष कुंवारा जी, राजेश रावल सुशील जी, राजेश चौहान राज, राजेश भंडारी बाबू, डाॅ.बी.एल.बेचैन, सीमा देवेन्द्र जी, सुभाष निगम, रजनीश दवे जी और वरिष्ठ कवि डाॅ शिव चौरसिया सरस काव्यपाठ किया। काव्य पाठ की शुरुआत डॉ शशि निगम की मालवी सरस्वती वंदना और शहिदों को नमन के साथ हुई।
वहीं बने सिंह जी ने
पर्यावरण और देशभक्ति, मनोहर दुबे ने
भेरियो और दादा संवाद और राधेश्याम कराड़ा ने
छड़ी छड़ी बरखा ऐसी छड़ी
खेता में सोयाबीन सडी सुना कर समां बांध दिया तो
सुभाष कुंवारा ने
अटल जी को अपना साढू
कुंवारा नाते बताते हुए सबको गुदगुदाया।
राजेश रावल ने
आज की नारी फेशन में इतरावे रे सुनाते हुए संदेश दिया वहीं पचरंगों मालवा केडॉ राजेश भंडारी बाबू ने
कुर्ता की बांव छोटी राखो के मोटी राखो ,
आस्तीन में सांप घुसिया रे हैं सुना कर जीवन का सत्य बयां किया। डॉ.बी.एल.मालवीय 'बेचैन' ने दारू माता की आरती
और सीमा देवेन्द्र जोशी ने गांव और नारी मर्यादाओं के बाद
देशभक्ति गीत सुना कर अपनी सशक्त कलम का परिचय दिया।
मंच पर मौजूद सबसे वरिष्ठतम कवि डॉ शिव चौरसिया ने सबका मार्गदर्शन करते हुए मालवी के लिए किए गए प्रयास की प्रशंसा करते हुए अपने काव्यपाठ की शुरुआत की।
�कवि सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के इंदौर प्रतिनिधि विजय सिंह चौहान ने की वहीं अभिषेक रविन्द्र दुबे ने अपने संचालन से सभी को मंच से जोड़े रखा। आभार मनोज पंडित ने माना।


वहीं दो दिवसीय मालवी मेलें का शुभारंभ श्री विकास दवे, श्री जयप्रकाश नाईक, श्री मनोहर दुबे के अतिथ्य में दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मालवी नृत्य , पुस्तक विमोचन, और 88 से अधिक स्टाल पर खान पान के चटखारे और साज सज्जा के सामान के साथ विभिन्न उपयोगी वस्तुओं को लेकर भी मेला घूमने आए लोगों ने विशेष रूचि दिखाई। चार और पांच अक्टूबर को आयोजित इस मेले का समाजजन सहित हर वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।