Chandauli News:चकिया नगर में परंपरा व आस्था के साथ धूमधाम से निकला चालीसवां का जुलूस, दुलदुल घोड़ा और ऊंट बने आकर्षण का केंद्र

संवाद न्यूज एजेंसी

चकिया। नगर में शनिवार को चालीसवां का जुलूस बड़े ही अकीदत और शांति-व्यवस्था के बीच निकाला गया। मुस्लिम समाज के लोगों ने जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जुलूस में शामिल पारंपरिक दुलदुल घोड़ा और ऊंट विशेष आकर्षण का केंद्र बने रहे।

*चालीसवां पर्व का महत्व*
मुस्लिम समाज में चालीसवां (अरबईन) पर्व का संबंध कर्बला की जंग से है। इस दिन इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के 40 दिन पूरे होने पर उन्हें याद किया जाता है। इमाम हुसैन ने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ते हुए कुर्बानी दी थी। उनकी याद में मुस्लिम समाज के लोग यह जुलूस निकालते हैं और शांति, भाईचारे का संदेश देते हैं।चकिया नगर में निकले जुलूस में बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हुए। जुलूस में ताजिया, अलम और दुलदुल घोड़ा के साथ ऊंट भी शामिल किए गए, जिन्हें देखकर लोग आकर्षित हो गए। कई जगह लोगों ने जुलूस का स्वागत किया और समाज के लोग पूरी श्रद्धा से शामिल रहे।मौके पर शोक गीतों (नौहा और मर्सिया) की गूंज से पूरा नगर गमगीन नजर आया। लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा लेते दिखे।जुलूस को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन भी मुस्तैद रहा। जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया था और अधिकारियों ने खुद पैदल चलकर निगरानी की।

जुलूस में शामिल स्थानीय निवासी मुजाहिद अली ने कहा कि चालीसवां हमें इमाम हुसैन की कुर्बानी की याद दिलाता है। उनका जीवन हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने और इंसाफ का साथ देने की सीख देता है। कहा कि जुलूस में शामिल होना हमारी आस्था और परंपरा का हिस्सा है। दुलदुल घोड़ा और ऊंट देखकर बच्चे भी बहुत खुश हो गए।

*शांति और सौहार्द का संदेश*
पूरे नगर में जुलूस निकलने के दौरान लोगों ने मिलकर सौहार्द और एकता का परिचय दिया। हिन्दू समुदाय के लोग भी जगह-जगह पानी और शरबत पिलाकर स्वागत करते दिखे।