*"श्री राजमाता जी मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्स..."> *"श्री राजमाता जी मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्स..."> *"श्री राजमाता जी मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्स...">

* " गुरु पूर्णिमा महोत्सव -- श्री राजमाता मंदिर " *

*"ईश्वर के दिए कर्मफल को भी काट देते है सदगुरु:~राजेश्वरानंद"*

*"श्री राजमाता जी मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव"*

दिल्ली 10जुलाई:~"भगवान मनुष्य को कर्मों का फल देते हैं लेकिन इन कर्मफल को काट देते है सदगुरु"यह संदेश दिया गया अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर शाहदरा गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में देश विदेश से आए शिष्यों को।

संस्थान के सहप्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि देश विदेशों में सनातन धर्म का परचम लहराकर लौटे स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव में प्रातः सर्वप्रथम व्यासगादी पर आसीन ब्रह्मलीन संत शिरोमणी सदगुरु श्री श्री 108 राजमाता जी महाराज की प्रतिमा के मस्तक पर तिलक हाथ में रक्षासूत्र पुष्पमाला,पुष्पवर्षा अर्पित करते हुए सैकड़ो दीपकों के साथ "आरती सदगुरु देव की कीजे" की सरगम के साथ आरती उतारी गई तत्पश्चात भक्तों द्वारा पंक्तिबद्घ होकर मंदिर गृभगृह स्थित पवित्र गुफा में सदगुरु देव की समाधि पर वस्त,पुष्पांजलि अर्पित करते हुए पूजा अर्चना की गई।दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,पंजाब आदि प्रांतों के अलावा विदेश में बसे भारतीय मूल के नागरिकों ने भी गुरु पूजा में शीश निवाकर गुरुदेव के निमित्त कृतज्ञता व्यक्त की।सारा दिन मंदिर परिसर में अनेक नए भक्तों द्वारा स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज से गुरु दीक्षा प्राप्त की गई।सारा दिन गुरु पूजन, सत्संग,भजन,कीर्तन,भंडारा चलता रहा।

इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि"गुरु गृह जाने वाले शिष्य के प्रतिकूल गृह भी अनुकूल स्थिति में कार्यरत होने लगते है।गुरु का तात्विक अर्थ गु यानी गूढ़ और रु यानी रूहानी जो हमे रूहानी ज्ञान से तृप्त करे वही गुरु।रूहानी ज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर बार बार हमारे अहंकार पर सबसे बड़ी यह चोट पड़ती हैं कि आज तक तूने जो सांसारिक साधन रूपी सुख या कथा कहानियों का थोथा ज्ञान एकत्र कर तुम खुश हो रहे हो वह मात्र मैला थैला है।गुरु को दक्षिणा में देने वाली कोई मूल्यवान चीज है तो वह है अपना *अहंकार*।

गुरु के पास भी सांसारिक इच्छाओं तक सिमटने वाले बुद्धू के बुद्धू ही रह जाते है चंद ही बुद्धू से बुद्ध के मार्ग पर अग्रसर होते है।गुरु के पास जाकर सांसारिक पदार्थ नहीं रुहानी ज्ञान की तड़प होनी चाहिए।

स्वामीजी द्वारा सर्व कल्याण अरदास के साथ ही राष्ट्र की एकता अखंडता शांति हेतु प्रार्थना के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

राम वोहरा 9212315006