*"रविवार शनि मंदिर में पूर्णाहुति, गुरुपूजा,भंडारा..."> *"रविवार शनि मंदिर में पूर्णाहुति, गुरुपूजा,भंडारा..."> *"रविवार शनि मंदिर में पूर्णाहुति, गुरुपूजा,भंडारा...">

* " कर्म नहीं भाव से निश्चित होता है पाप पुण्य - राजेश्वरानंद "*

*"कर्म नहीं भाव से निश्चित होता है पाप पुण्य:~राजेश्वरानंद"*

*"रविवार शनि मंदिर में पूर्णाहुति, गुरुपूजा,भंडारा"*

कटरा 3जुलाई:~सिर्फ कर्म में नहीं बल्कि कर्म के पीछे छिपे भाव से पाप और पुण्य का निर्णय तय होता है यह संदेश स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा कटरा कश्मीर रोड भूमिका मंदिर के पास स्थित श्री राजमाता जी आश्रम शनि मंदिर में गुरु पूजा संदर्भ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भक्तसमूह को।

श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भक्तसमुह को संबोधित करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि "भगवान श्री कृष्ण की माखन चोरी,गोपियों के स्नान के समय वस्त्र हरण आदि लीलाओं को सामान्य दृष्टि से देखने में तो बहुत दोष दिखाई देते हैं लेकिन इन लीलाओं के पीछे जो भाव है उससे जनकल्याण एवम व्यापक दृष्टि की शिक्षा प्राप्त होती है।माखन चोरी के पीछे का भाव है समाज में निर्धन धनवान का भेद समाप्त करते हुए समरसता समभाव की स्थापना करना यानी कन्हैया के घर प्रचुर मात्रा में घी माखन था तो उनके मित्र अभाव में जी रहे थे अतः कन्हैया ने माखन चोरी भी किया तो उसके पीछे सेवा भाव रहा।स्नान करती हुई गोपियों के वस्त्र हरण के पीछे उन्हे शिक्षा देनी है कि स्त्रियों को सदा मर्यादा में रहना चाहिए।सिर्फ बंदूक से गोली चलाने में नही है बल्कि उस गोली चलाने के पीछे छिपे भाव में गुण दोष यानी पाप पुण्य छिपे हुए हैं।एक उग्रवादी मानसिकता का व्यक्ति भोलेभाले लोगों को पीड़ा देने के लिए समाज की शांति भंग के लिए फायरिंग करता हैं तो दूसरी तरफ सुरक्षाकर्मी भोलेभाले नागरिकों की सुरक्षा के साथ शांति की स्थापना हेतु गोली चलाता है तो दोनो के कर्म के पीछे छिपे भाव पाप और पुण्य का फल प्रदान करते हैं।साधारण मनुष्य और संत महात्मा लोग एक ही प्रकार से कर्म करते हैं लेकिन एक बंधन तो दूसरा मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

आचार्य मनोज कृष्ण जी महाराज द्वारा भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला कथाएं जिसमे पूतना वध,कालिया देह,गाय सेवा आदि के बाद गोवर्धन पूजा संदर्भ में कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान को अहंकार पसंद नही है उन्होंने देवराज इंद्र क्या अहंकार मर्दन किया और शरीर की छोटी सी उंगली का भी महत्व सिद्ध करते हुए कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर गवालों को को सम्मान देते हुए कहा कि आप सभी पर्वत के नीचे अपनी अपनी लाठी लगा दो जिससे शिक्षा मिलती है कि सम्मान लेने की नही बल्कि देने की इच्छा रखने वाले को स्वयं ही सम्मान मिल जाता है।

कथाविराम पर आरती के बाद शुभम शर्मा द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।

कल शनिवार को कथा संपन्न होगी तो रविवार सुबह 10 से 1बजे यज्ञ पूर्णाहुति, गुरुपूजा,सत्संग,भंडारा किया जायेगा।

स्वामीनाथ पांडे 9212315006