झूठे दावों के सहारे बदनाम करने की कोशिश

रची नई कहानी,भूमिधारी जमीन को बंजर बताकर पेश की सफाई;कोर्ट में मामला लंबित

ऊँचाहार,रायबरेली।सच्चाई चाहे जितनी भी दबाने की कोशिश की जाए,समय आने पर वह उजागर होकर ही रहती है।ऐसा ही एक मामला ऊँचाहार तहसील क्षेत्र के एक भूमि विवाद में सामने आया है।जिसमें सलमा बेगम पत्नी मोहम्मद नसीम द्वारा पूर्व नगर पंचायत चेयरमैन मोहम्मद सल्लन को निजी तौर पर बदनाम करने की सोची-समझी साजिश रची जा रही है।गौरतलब है कि विवादित भूमि पूर्व चेयरमैन मोहम्मद सल्लन की पत्नी(सलमा बेगम पत्नी मोहम्मद सल्लन) के नाम दर्ज भूमिधरी जमीन है।इस सौदे में कानूनी रूप से भू-स्वामी उनकी पत्नी हैं।किन्तु, क्रेता सलमा बेगम पत्नी मोहम्मद नसीम द्वारा मीडिया में जानबूझकर सल्लन का नाम घसीटकर उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया जा रहा है।जो तथ्यात्मक और कानूनी दोनों दृष्टि से अनुचित है।वर्ष 2020 में सलमा बेगम(पत्नी मो० नसीम)ने सलमा बेगम (पत्नी मो० सल्लन)से भूमि क्रय हेतु ₹1,75,000 (एक लाख पचहत्तर हजार रुपये) बतौर बयाना राशि ₹50 के स्टांप पर लिखित समझौते के तहत दी थी।इस वैध दस्तावेज पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर मौजूद हैं।समझौते के अनुसार,निश्चित समयसीमा में शेष राशि का भुगतान कर रजिस्ट्री करानी थी।परन्तु,पांच वर्षों तक क्रेता पक्ष ने न तो शेष भुगतान किया और न ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी कराई।इस दौरान भू-स्वामी पक्ष को आर्थिक नुकसान और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।समझौते की निर्धारित अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात सलमा बेगम (पत्नी मो० नसीम)ने ₹1,75,000 बयाना राशि वापसी की मांग करनी शुरू कर दी।जबकि भारतीय कानून स्पष्ट करता है कि यदि क्रेता द्वारा समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया जाता है तो बयाना राशि जब्त मानी जाती है।कानूनी प्रक्रिया के तहत जब पूर्व चेयरमैन मोहम्मद सल्लन ने क्रेता पक्ष को विधिवत कोर्ट के माध्यम से नोटिस जारी किया,तब से सलमा बेगम (पत्नी मो० नसीम)सोशल मीडिया और मीडिया मंचों के जरिये पूर्व चेयरमैन सल्लन के खिलाफ झूठे आरोप लगाने में सक्रिय हो गईं।अब क्रेता पक्ष ने नया दावा कर दिया है कि जिस भूमि का सौदा हुआ था,वह बंजर भूमि है।यह दावा पूरी तरह भ्रामक और असत्य है।तहसील रिकॉर्ड और भूलेख में जमीन स्पष्ट रूप से भूमिधारी भूमि के रूप में दर्ज है।किसी भी सरकारी दस्तावेज में उसे बंजर के रूप में दर्ज नहीं किया गया है।यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि सौदा सलमा बेगम(पत्नी मो० सल्लन) के नाम दर्ज भूमि का था। मोहम्मद सल्लन बतौर पति एवं परिवार के प्रतिनिधि के रूप में बातचीत में सहभागी रहे।लेकिन, क्रेता पक्ष द्वारा जानबूझकर सल्लन को निजी तौर पर निशाना बनाना कानून की दृष्टि से अनुचित है।यह व्यक्तिगत मानहानि के दायरे में आता है।पूर्व चेयरमैन एवं भू-स्वामी परिवार के प्रतिनिधि मोहम्मद सल्लन का कहना है कि मैंने सौदा पूरी ईमानदारी से किया।पांच वर्षों तक कई बार क्रेता पक्ष को रजिस्ट्री कराने के लिए कहा।कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।अब जब कानूनी कार्रवाई शुरू हुई है तो मेरी छवि धूमिल करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है।उन्होंने आगे कहा: "यदि क्रेता पक्ष के पास कोई वैध दावा है तो वह कोर्ट में प्रस्तुत करें, न कि मीडिया के माध्यम से मेरी छवि खराब करें।"स्थानीय समाज में इस विवाद को लेकर व्यापक चर्चा है।अधिकांश लोगों का मानना है कि ₹50 के स्टांप पर लिखित समझौता करने के बाद भूमि को अब बंजर बताना और बयाना राशि वापसी की मांग करना कानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ है।साथ ही, यह भी सर्वसम्मति है कि जिस भूमि की स्वामी सल्लन की पत्नी हैं।उस मामले में व्यक्तिगत रूप से मोहम्मद सल्लन को निशाना बनाना एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है। वर्तमान में यह मामला कोर्ट में लंबित है।न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से ही अंतिम निर्णय आएगा।किन्तु, यह स्पष्ट है कि झूठ और दुष्प्रचार के जरिये सच्चाई को अधिक दिन तक छिपाया नहीं जा सकता।पूर्व चेयरमैन मोहम्मद सल्लन ने भरोसा जताया कि न्यायालय से उन्हें न्याय मिलेगा और इस प्रकार की झूठी और अनुचित प्रचार मुहिम पर रोक लगेगी।