ठेकेदार और अधिकारी का कमिशन का खेल, छत ढलाई के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एक दिन हुई तराई कडी धुप, फिर भी तराई मे लापरवाही करते ठेकेदार

बैकुण्ठपुर। कलेक्टर कोरिया की विषेश पहल से बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत के ग्राम जमगहना के कोटकताल प्राथमिक शाला का मरम्मत कार्य किया जा रहा है जिसकी छत की ढलाई बुधवार को की गई, गुरुवार को आ कर सिमेनट छिडकाव किया गया, जिसके बाद छत मे पानी की तराई नही की गई। स्थानियजनों के द्वारा इसकी जानकारी आरईएस अधिकारी को दी गई किन्तु अधिकारी का कहना रहा की दो दिन की ढलाई मे पानी तराई की अभी आवश्यक्ता नही है, जबकि वही स्वयं का घर बनाया जाता है तब ढलाई के महज पांच से छः घण्टे बाद ही सिमेंट छिटाई कर पानी की तराई 20 से 21 दिनों तक लगातार की जाती है, वहीं शासकीय इंजिनियर व बाहर के इंजिनियरों का कहना भी है की छत ढलाई के बाद छत पर कियारी बनाकर लगातार छत मे पानी भरना है मतलब तराई करना है और लगातार 15 से 20 दिनों तक तराई लगातार होनी चहिए, लेकिन कोटकतार प्राथमिक शाला की छत ढलाई हुई सिमेंट का छिडकाव भी ठेकेदार के द्वारा कराया गया लेकिन जब पानी तराई की बात आई तो छत पर केवल दिखावे के लिए कियारी बना दिया गया है लेकिन पानी की तराई नही की जा रही है, बुधवार की ढलाई के बाद गुरुवार को पानी की तराई नही की गई, इसकी सुचना जिला प्रशासन की मुखिया को दी गई तब जाकर चार बजे ढलाई हुई छत की तराई की गई, वर्तमान मे धुप तेज होने लगा है और ढलाई छत की तराई बहोत जरुरी हो गई है यदि छत की तराई नही कराई जाऐगी तो छत फटने फटेगा और दरारे आऐंगी जिसके कारण बारिष के दिनों मे छत टपगेगा और जो स्थिति पहले थी छत गिरने की वही फिर होगा वहां कक्षा एक से कक्षा पांच तक के बच्चे पढाई करते है, अगस्त माह मे छत गिर रहा था जिसकी जानकारी कलेक्टर कोरिया को मिली थी जिसके बाद शाला का मरम्मत कार्य कराया जा रहा है, लेकिन ठेकेदार व अधिकारी की मिलिभगत से पुनः कार्य को गुणवत्ता युक्त नही किया जा रहा है।

सुचना देने के बाद भी अधिकारी क्यों करते है ठेकेदार का बचाव

कोटकताल प्राथमिक शाला का मरम्मत कार्य चल रहा है, जिसकी छत की ढलाई की गई, सुत्रों की मानें तो ढलाई कराते समय अधिकारियों का मौके पर रहना आवश्यक रहता है लेकिन स्कूल के छत ढलाई के समय कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नही रहे हां हो सकता है बोल दे की चुनाव ड्यूटी मे थे जिसका भरपुर फायदा ठेकेदार के द्वारा उठाया गया, इतना ही नही छत की ढलाई के बाद पानी की नियमित तराई भी नही हो रही है, तराई नही होने की जानकारी आर ईएस विभाग के ई को दी गई तब उन्होने कहा आप ज्यादा जानते हो, लेकिन तराई अपने समय मे होगी, अधिकारी महोदय जब तराई समय पर होगी तो तराई हो क्यों नही रही है, छत सुखी क्यों है। अन्य विभाग के इंजिनियरों से जानकारी लेने पर पता चला की छत ढलाई के सात आठ घण्टे बाद पानी नियमित रुप से छत मे कियारी बना कर जमा करना है यानी तराई करना है, लगभग 15 से 20 दिनों तक, गुगल मे भी यही जानकारी दी गई लेकिन आरईएस विभाग के ई साहब मानने को तैयार नही है।

छोटी छोटी शिकायत कलेक्टर से क्यूं, विभागिय अधिकारियों का नही है कोई जवाबदारी

स्कूल के छत तराई की बात करे या फिर और भी किसी जानकारी की क्या कलेक्टर कोरिया को छोटी छोटी जानकारी देना आवश्यक है, संबंधित विभाग के अधिकारियों की कोई जवाबदारी नही है, तो हम कहेंगे नही क्योकि जब अधिकारी को छत तराई की जानकारी दी गई तो वह ठेकेदार की पक्ष मे बात करते नजर आए, लेकिन कलेक्टर कोरिया को जैसे ही जानकारी मिली पन्द्रह मीनट मे ठेकेदार के मजदूर पहूंचे और तराई कार्य किए, नाम न बताने की शर्त पर उन्होनें कहां अभी तक तीन से चार बार तराई होनी चहिए थी। शुक्रवार को तराई हुई लेकिन शनिवार को फिर तराई नही, आर ई एस विभाग के ई साहब कहे कल तो तराई हुई है रोज रोज कौन करता है। जबकि उन्हीं के विभाग के अधिकारी करते हैं कि 15 से 20 दिन तराई होना आवश्यक है।